Friday, April 12, 2013

सोच में डूबी शाम ...

स्कूल पहुँचने के बाद भी उस लड़की को अजीब सी हिचकिचाहट हो रही थी. उसे अब तक समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ हो क्या रहा है. प्रेयर के बाद सारे बच्चे अपने अपने क्लास में चले गए. ये लड़की भी जाकर अपनी सीट पर बैठ गयी. आज इसने ये फैसला कर लिया था की अब उन् लड़कियों के साथ वो नहीं रहेंगी. घंटी पर होते गयी लंच टाइम हो गया. सब क्लास से बहार जा रहे थे लंच करने. वो सारी लड़कियों ने इसे भी बुलाया. लेकिन इसने कोई जवाब नहीं दिया और अनदेखा कर दिया. वो सब बहार ग्राउंड में जाकर लंच करने लगी. अब ये लड़की अकेले थी इसके साथ कोई दोस्त नहीं थी. आज इसने पूरा लंच भी नहीं किया. पूरा दिन अकेले रही. लंच के बाद क्लास शुरू हुई. इस लड़की के बगल में एक और लड़की बैठी थी उसने कहा की आज तुमने लंच अकेले क्यों किया? इस लड़की ने उसे कोई जवाब नहीं दिया. बस चुप चाप क्लास में पढाई पर ध्यान देती रही. आखरी पीरियड चल रहा था जिसमे टीचर ने सभी को सेल्फ स्टडी करने को कहा. ये लड़की चुप चाप बुक खोल कर बैठ गयी. इसके दिमाग में ये बात घर कर गयी थी. अब इसने सोचा ठीक है हँसते है तो सब हँसे मुझे इससे कोई मतलब नहीं. मई यहाँ पढने आई हूँ सिर्फ बस.
 
अब इसने ये तय कर लिया की अब में कुछ ऐसा करुँगी की ये सब मुझपर हंसने के बजाये खुद दोस्ती करने आये. अब इसने अपने बगल में जो लड़की बैठी थी उससे बात करना शुरू किया. धीरे धीरे इन दोनों के बीच अच्छी बातचीत होने लगी. छुट्टी की आखरी घंटी लगी. फिर सब धीरे धीरे लाइन में अपने क्लास से बहार गए. लाइन में वो लड़कियां इसके पीछे लगी थी. उनमे से एक ने पुछाआज तुम हम लोगो के साथ लंच क्यों नहीं करने आई.?? इसने कोई जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ते चली गयी. बस पर बैठी तो मालूम हुआ की उसके बस से तीन तीन टीचर भी जाया करेंगी. ये उनमे से एक भी टीचर को नहीं जानती थी. उसके बस के ड्राईवर ने इससे कहा की तुम यहीं पर साइड में किनारे बैठना इसी सीट पर तीनो मैंम आकर बैठेंगी. ये लड़की चुप चाप साइड हो गयी. तीनो टीचर आई और आकर इसके बगल में बैठ गयी. उनमे से एक  ने पुछा न्यू एडमिशन हो ? इसने धीरे से कहा हाँ. उस टीचर ने कहा किस क्लास में हो. इसने बहुत धीर  से जवाब दिया. तो उनमे से एक टीचर ने इससे कहा तुम इतने धीरे धीरे क्यों बोल रही हो ?? क्या तुम ऐसे ही बोलती हो या हम लोगो से डर ऐसे बोल रही ... इसने कहा 'नो मैंम' तो उस टीचर ने कहा डरने की बात नहीं है आवाज़ को बोल्ड करके बोलने चाहिए ऐसा बोला करो की लगे की तुममे कॉन्फिडेंस है. ये बात होते होते इस लड़की का घर आ गया और इसने बाय मैंम के कर चली गयी. घर में पहुचने के बाद इसकी मम्मी ने इससे पुछा कैसा रहा आज का दिन. इसने कहा अच्छा रहा. ये लड़की अपने रूम में जाकर ड्रेस चेंज की और खाना खाने बैठ गयी. इसे बार बार उस मैंम की बातें याद आ रही थी. वो बात इसे छु गयी थी. खाना खा कर ये टीवी देखने लगी. अब इसके दिमाग ये एक बात चल रही थी की अब मुझे ऐसा ही बनना है उस मैंम ने सही कहा अगर हम सीए होते तो शायद वो लड़कियां मुझपर  नहीं हंसती. लेकिन ये कैसे करेंगे. इसने सोचा मुझे तो इतना डर लगता है मै अपने इस डर को कैसे बहार निकलूंगी. टीवी चल रहा है और साथ ही साथ इसके दिमाग में बस ये बातें घर कर गयी थी.



शाम हो गयी ये बैठ कर अपना होमवर्क कर रही थी. होमवर्क पूरा हो गया अब ये ड्राइंग कर रही थी उसमे भी इसे होमवर्क मिला था. उधर से इसके पापा आते है और ड्राइंग करते देख कहने लगे की पढ़ने के समय पर ड्राइंग तुम्हारा आदत ये कब ख़त्म होगा ?? इसने कहा पापा ये भी होमवर्क में ही मिला है. तो इसके पापा ने कहा की ऐसे होमवर्क तुम्हे खेलने या टीवी देखने के समय करना चाहिए पढ़ाई के वक़्त ये नहीं चलेगा. अगली बार ऐसी गलती हम नहीं देखना चाहते. मायूस सी ये लड़की डरते डरते आखों में आशु लिए किसी तरह ड्राइंग को पूरा किया. रात हो गयी घर के सभी लोग साथ मिलकर खाना खाए और अब सोने का टाइम हो रहा था. इस लड़की को बिलकुल नींद नहीं आ रही थी इसे अब तक अपने सवालो के जवाब नहीं मिले थे. औए ऊपर से अब ये नहीं समझ आ रहा था की क्या  करे कैसे खुद में कॉन्फिडेंस लाये. घर में सब सो गए  थे. ये ऊपर टेरेस पर गयी और खुले आसमान में टीम टीमाते तारे देख रही थी. कहीं पर इसे हँसता चेहरा बना दीखता तो कहीं पर हल तो कहीं पर जाल में फसा एक चेहरा. ये सोचती रही. रात के करीब 2 बज गए. इसके आखो में बिलकुल नींद नहीं था इसके आखों में कुछ कर दिखने की उम्मीद भरी थी. अचानक पीछे से एक आवाज़ आती है. ये लड़की भागते हुए निचे जाती है उसके पापा ने कहा इतने रात में तुम टेरेस पर क्या कर रही हो कल स्कूल नहीं जाना है क्या ? इसने कहा नींद नहीं आ रही थी तो उसके पापा ने कहा नींद नहीं आ रही तो पढ़ाई नहीं क्या जाता ऊपर घूम रही हो इतने रात में .. जाओ जाकर सो... आखों में आशु लिए अपने रूम में गयी अपने तकिये को अपने आखो के पानी से भेगोते हुए सोच के उस दलदल में डूब गयी ......



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