Saturday, May 5, 2012

सपनो की दुनिया : बचपन


' बचपन ' यह एक ऐसा वक़्त होता जिसमे इन्सान किसी परेशानियों से नहीं  घिरा होता.....  इस भाग दौर की जिंदगी में हर इन्सान एक ऐसे दौर से गुजरता है जब उसकी सोच एक खुले आसमान की तरह होती है जिसकी   तो कोई सीमा होती कोई लक्ष्य बस सपने संजोता है ........
      आएये आज एक कहानी बताती हूँ ये कहानी एक छोटी सी दस साल की लड़की की है. एक छोटी सी लड़की जो अपने सपनो की दुनिया में खोयी होती हर बात पर एक नए सपने देखती ....  जब कोई अच्छी पेंटिंग देखती तो उसे लगता काश में एक चित्रकार बन जाऊं तो सारी दुनिया को अपने रंगों से भर दूँ.. फिर कभी जब वो क्रिकेट खेलती तो लगता की मुझे बड़ी होकर  क्रिक्केटर बनना है .. फिर जब वो टीवी पर एक्ट्रेस को डांस करते  देखती तो  लगता की मुझे डांसर बनना है ... जब किसी खिलौने के दुकान पर जाती तो बहुत सरे खिलौने पसंद आते लकिन उसके माता पिता उसके पसंद के हर खिलौने उसे नहीं दिला पाते वो सोचती की जब मै बड़ी हो जाउंगी तो खुद का एक कमरा रखुगी जिसमे सिर्फ मेरे पसंद के खिलौने होंगे .. उससे चोकोलेट बहुत पसंद थे जब उसके माता पिता नहीं दिया करते हर दिन खाने को तो सोचती काश मेरी अपनी कोई दुकान होती तो मै दिन भर टॉफी खाया करती फिर सोचती की जब मै बड़ी हो जाउंगी तो एक पूरा भरा कमरे मै टॉफी भर कर  रखूंगी ......वो लड़की हर पर एक नए सपने को संजोती थी .....  आखें बड़ी बड़ी नाक तीखी सी छोटे से ओठो पर हर वक़्त मुस्कराहट  होती जाने किन किन नए नए ख्यालो में खोयी रहती.. 
भाग- 1  :   
         एक दिन की बात है उसके पिता का ट्रान्सफर हो गया दुसरे शहर  में नयी जगह नए लोग नयी स्कूल,  वो एक रिक्शा से  स्कूल जाया करती उस पर उसके कुछ दोस्त साथ आते जाते वो उस लड़की को बड़ा परेशान किया करते वो लड़की जब घर से पैसे ले जाती कैंटीन में कुछ खाने को तो उसके वो दोस्त उससे लेकर खुद खा जाया करते बेचारी लड़की बहुत परेशान रहती अब तक उसके कोई अच्छे दोस्त नहीं बन पाए थे वो ये बात तो किसी से कह पाती  तो कुछ कर पाती ..  हर वक़्त हसने वाली लड़की चुप चुप शांत सी हो गयी थी.. एक दिन उसने सोचा क्यों मै इस रिक्शा से जाऊ खुद अकेले जाऊ लकिन फिर उसने सोचा अकेले जाने के लिए उसके माता पिता तयार नहीं होंगे तो फिर उसे बड़ा सोचा इसका कोई तो उपाय  होगा फिर से वो अपने खयालो और सपनो की दुनिया मै खो गयी की काश मेरी कोई एक अच्छी सी दोस्त  होती जिसके साथ मै खेलती पढ़ती और स्कूल भी जाती तो ये सारे दोस्त से वो छुटकारा पा लेती ऐसी दोस्त जो उसके साथ घर से स्कूल और स्कूल से घर आती जाती काश ऐसा होता..   एक दिन वो अपने क्लास मै बैठी थी पहली सीट पर अकेले बैठी थी  तब ही एक मंजीता नाम की लड़की कर उसके बगल में  बैठी वो नयी लड़की थी स्कूल में धीरे धीरे इन् दोनों बात करना शुरू किया और कुछ दिनों में ये दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन गयी और इस छोटी सी लड़की की सरे सपने सच हो गए वो इसकी नयी दोस्त इसके साथ स्कूल से घर और घर से स्कूल जाती साथ पढ़ती साथ खेलती और उसके वो सरे दोस्त जो इससे बहुत परेशान करते थे वो देखते रहते की अब तो ये उन् लोगो पास भी नहीं जाती और ना उनलोगों से बात करती.... ये लड़की इसी तरह हर दिन हर पल एक नए ख्वाब देखती और ऐसे ख्वाब जिसके कोई सीमा नहीं होती..... यह लड़की अब ये समझने लगती है की जो भी सपने हम देखते है जो कल्पनाये करते है वो सभी हमेशा सच जाते  है बस अपने सपनो के लिए हमें कुछ काम करना होता है और धीरे धीरे वो अपने सपनो के लिए अपने तरीके से कोशिश शुरू कर देती है...

भाग- 2 :
               दिन बीतते गए वो लड़की बड़ी होती गयी और इस दुनिया की परेशानियों में घिरते गयी क्लास बढ़ रहे थे पढाई मुश्किल होती जा रही थी इस लड़की की सबसे बड़ी परेशानी इससे कभी कुछ याद नहीं हो पाता.. उसके पिता ने उससे एक नयी और अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया स्कूल के पहले दिन की बात है इंग्लिश की क्लास थी उसे कर्सिव राईटिंग  में a to z  लिखने कहा गया ये बेचारी लड़की इससे पता नहीं था की कर्सिव  राईटिंग क्या होता इसके पास एक लड़का और एक लड़की बैठे थे उन् दोनों बच्चो को भी नहीं पता था की ये कैसे लिखते है तो इन् तीनो ने सोचा कर्सिव राईटिंग का मतलब होता होगा एक कैपिटल A और दूसरा स्माल b तो इन् तीनो बच्चो ने उस a to z को कुछ इस प्रकार लिखा A a, B b, C c, D d, E e .............................to Z z. अपनी कॉपी में लिख कर ये तीनो बहुत खुश हुए और सबसे पहले ये छोटी सी लड़की अपनी टीचर को दिखने गयी टीचर ने देखा बिना कुछ कहे उस लड़की को एक थप्पड़ लगा दिया वो लड़की रोने लगी उसे ये भी पता नहीं चला की टीचर ने उसे मारा क्यों और टीचर ने उसकी कॉपी बिना चेक किये लौटा दी और कहा फिर से लिख कर दिखाओ बेचारी लड़की उससे ये तक समझ में नहीं आया की उसे मार  क्यों पड़ी उसके माता पिता ने भी आज तक उसे कभी नहीं मारा था. वो रोते रोते अपनी सीट पर बैठी और अपने नए दोस्तों के साथ मिल कर ये पता करना चाहा की कर्सिव राईटिंग होता क्या है.... उस दिन उन् तीनो बच्चो को नहीं पता चल पाया की कर्सिव राईटिंग होता क्या है तीनो ने अपने नए स्कूल के पहले दिन पहले ही क्लास में से यह एहसास हुआ की उन्हें तो कुछ भी नहीं आता है... .. तीनो बच्चे वो पूरा दिन इसी तलाश में रह गए की आखिर ये कर्सिव राईटिंग होती क्या है .......


-------------"  बच्चो को समझाने की जरुरत होती है"   इस तरह से इस छोटी सी बच्ची की आत्म विश्वाश कैसे ख़त्म ख़त्म होती है वो आगे की कहानी का इंतजार करे , आगे क्या होता है ये अगले पोस्ट तक इंतजार करे एक ऐसी छोटी सी लड़की जो सिर्फ ये जानती है की सपने हमेशा सच हो जाते है उसे कैसे समझ में आता है की नहीं सपने सिर्फ सपने होते है जो कभी सच नहीं हो सकते और कैसे उसकी हर कला इस दुनिया की भीड़ में खो जाती है और उसके हर हर कल्पनाओ को कैसे उसके अपने ही ख़त्म कर देते है ...