Monday, April 27, 2020

अनचाहा रास्ता ..

आज का दिन भी अजीब था,  लड़की चुप चाप बैठी सोचती रही, किसको दोस्त बोलू कौन है जिससे अपनी दिल की बात बता सकु अजीब है ये ज़िन्दगी न जाने क्या चाहता है , कुछ सोचा समझा भी नहीं है अभी तक | अब बस यही सोच रही रही की की सिर्फ पढ़ना ही ज़िन्दगी है, लोग सरे ऐसे ही होते है , किसी को कुछ बताया नहीं जा सकता| अब अपना रास्ता अकेले ही चुनना है और अब अकेले ही चलना है , लड़की को अब लड़को से काफी नफ़रत सी होने लगी थी , क्यूंकि कुछ समय पहले से उसने ऐसे ऐसे लड़को को देखा था मनो की वो तबाही के अलावा और कुछ नहीं कर सकते | ज़िन्दगी चलती जा रही थी , उसके पापा का फिर ट्रांसफर हो गया। अब वो लड़की इंटर भी कर चुकी थी हालाँकि बहुत अच्छे अंक तो नहीं लेकिन कुछ करने कुछ कर गुजरने की छह जरूर थी उसमे | 
अब ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने की होर लगी थी | लड़की जहाँ चाहती थी वहां एडमिशन तो नहीं हो सका , जो विषय चाहती थी वो तो नहीं मिल पाया | लेकिन हाँ कुछ नया अलग करने का एक छोटा सा रास्ता जरूर मिल गया था | 
कॉलेज में नए दोस्त बनाये बहुत नजदीकी तो नहीं  लेकिन कुछ सच्चे थे उनमे से ,  लेकिन दोस्त काम थे  सब कुछ थी ठीक चल रहा था | अचानक एक दिन उस लड़के से फिर से बात हुई थी | वो बहुत ही घमंडी हो चूका था | फिर उस लड़की ने ठान लिया था कुछ भी हो जाये उससे अब कभी बात नहीं करनी है | 

वक़्त बीतता जा रहा था , समय का पहिया बहुत तेज़ी से घूम रहा था | एक शक्श को  आज देखा था देख कर लागा  की उसे जानती है वो , लेकिन फिर नज़र अंदाज़ कर दी। इन उलझन में कभी पड़ना चाहती ही नहीं थी कभी वो | दूसरा साल भी गुजरता गया .. .. अब ये चाहती थी की साथ साथ कुछ काम भी किया जाये | बच्चे इस लड़की को बहुत पसंद थे अपने पढ़ाई के साथ साथ ये छोटे छोटे बच्चो को पढ़ना शुरू कर दी थी | 

समय का पहिया तेज़ी से चल रहा था, उस अनजाने चेहरे से इस बार बात हुई थी | बात हुई एक दूसरे को जाना पहचाना .. . 

Thursday, February 20, 2014

ख़ामोशी

प्यार या मोहब्बत !! या एहसास का समंदर !! नहीं पता था उस लड़की को कुछ भी. बस सब कुछ बुरा लग रहा था.. धीरे धीरे वो वहां पर के अपने सारे  दोस्ते से दूरियां बढ़ने लगी. न तो किसी को फ़ोन करती न तो किसी के घर जाती. अलग अलग रहने लगी.... चुप चाप तनहाइयों की गोद में सर रख कर रात बिताती. नहीं पता था की अगला कदम वो अपना कैसे रखे. मानो लड़को से दूरियां बनाना शुरू कर दी थी  उसने. न जाने क्या था उसमे किसी चेज की कमी सी लग रही थी. लकिन वो इस बात को नज़र अंदाज़ करके अपना पूरा ध्यान सिर्फ पढाई पर लगा रही थी. अब बस उसके सपने में सिर्फ उसके मम्मी पापा के सपने को पूरा करने का सपना उसकी आखों में बस चूका था.
अब उसके लिए सिर्फ उसके मम्मी पापा ही थे जिनके लिए वो जीना चाहती थी. बस उनके सपने आखों में भर कर एक नयी दिशा के तरफ वो अपना कदम बढ़ा चुकी थी. वो अब दोस्तों से दूर रहना ही पसंद करती. इसी बीच उसकी एक फ्रेंड ने उसके घर का फ़ोन नंबर एक उसके ही क्लासमेट को दे दिया और वो उसके घर फ़ोन किया. इस लड़की को समझ में नहीं आया की ऐसा उसकी फ्रेंड ने किया क्यों ?? ये लड़की तो बहुत घबरा गयी. दुसरे दिन स्कूल में इसने पूछा की किसने दिया था फ़ोन नंबर उस लड़के को ?? सबने ने बताया की  वो लड़का इस लड़की के पीछे पड़ा था. धीरे धीरे इस लड़की ने तो स्कूल भी जाना बंद कर दिया. दसवी के एग्जाम आने वाले थे. ये लड़की बहार चली गयी उसके तयारी के लिए और धीरे धीरे इसने पापा से कह कर अपना फ़ोन का कनेक्शन भी कटवा दिया था.
अब घर में सर मोबाइल फ़ोन ही रहने लगा था. दिन बीतते जा रहा था. और इसने अपने सरे स्कूल फ्रेंड्स को लगभग पूरी तरह से चोर दिया था.
बोर्ड के एग्जाम नजदीक आ रहे थे और ये जोर शोर से तयारी में लगी हुई थी. इसे किसी भी कीमत पर अच्छे नंबर लेन थे क्योकि इसे बहुत्त बड़े बड़े सपने पुरे करने थे. जैसे जैसे एग्जाम के दिन नजदीक आ रहे थे इसकी घबराहट बढ़ते जा रही थी.वापस घर आ चुकी थी प्री बोर्ड्स के एग्जाम देने और अब यही पर रह कर तयारी हो रही थी.

बड़ी उलझन में पड़ी थी ये लड़की जहाँ ये ट्यूशन पढने जाती वो लड़का भी उसी जगह उसी टीचर से पढने आता था और इसके साथ एक टाइम पर. . इस लड़की के पास कोई और रास्ता नहीं था. हर उस लड़के को अपने आखों के सामने देखती पर एक ख़ामोशी की दीवार बनाये रखती अपने और उस लड़के के बीच.
कभी कभी ये घर में है भी या नहीं इसके मम्मी पापा को अंदाज़ा नहीं हो पता क्योंकि खामशी ने इसे घेर लिया था. एक रूम में होने के बाद भी किसी को एहसास नहीं हो पाता की ये लड़की भी वहीँ पर है. बस उस ख़ामोशी में अपने उन सपनो को उसने समेट लिया वो सपने जिनमे अभी पंख भी नहीं लगे थे. अब इस लड़की की सबसे अच्छी दोस्त ख़ामोशी ही बन चुकी थी. 

Monday, September 30, 2013

बदलते एहसास

दिन और  वक़्त एक जैसे नहीं होते...... न जाने क्यूँ ये बातें सब के समझ में क्यूँ नहीं आता वैसे ही आज इस लड़की को ज़िन्दगी की ये सच्चाई समझ में नहीं आ रही थी....

मौसम बहुत प्यारा था दिल को छूने  वाला था. लेकिन आज फिर से अकेले उस तन्हाई में बैठी. न कोई पास था जिससे कुछ कह सके. तलाश थी ऐसे इन्सान की जिसे दिल की हर बात कह सके. लेकिन क्या पाता था ये ज़िन्दगी ऐसी होती है जहाँ आप किसी से भी अपनी दिल की बात नहीं कह सकते. लोग आपके एहसास का आपके जज़्बात का मजाक उड़ाते है . वो इस दुनिया के इस अनजान रूप के बारे में नहीं जानती थी और एक सपना देखने की जुर्रत कर दी . वो लड़की उस अपने क्लासमेट को पसंद करने लगी. कहते है प्यार अंधा होता है कोई इनसान प्यार  सोच सम्मझ कर नहीं करता लेकिन पता नहीं ये क्या हो गया. उसे कोई अंदाज़ा भी नहीं था की उसने क्या गलती कर डाली  है. उसकी ज़िन्दगी किस तरह से बदलने लगी थी.  न उसने सोचा और न उसे पता था की जीने के लिए इतने दर्द सभालने होगे, मुस्कुराओ तो  मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे. इन् चीजो से अनजान बेफिक्र. बस एक एहसास जिसे वो महसूस कर रही थी...उसे समझ नहीं आ रहा था की उसे क्या कहे.. क्या हो रहा था कुछ पता नहीं चल पा रहा था...

उसने सोचा की अपने दोस्तों को ये बात बताएगी लेकिन उसके पहले जो उसे पता चला उससे वो बिलकुल टूट सी गयी... मजाक मजाक में जो बातें हमेशा दोस्तों के साथ होती थी उसे आज उस सच्चाई का पता चला.

आज उसे पता चला की उस लड़के ने उसकी एक नजदीकी दोस्त को प्रपोज़ किया और उसकी दोस्त ने एक्सेप्ट भी कर लिया. वो दोनों एक दुसरे को बचपन से जानते थे साथ पड़ते आये थे. ये लड़की तो अभी अभी ही आई थी इसे इन् साडी बातो के बारे में कुछ पता नहीं था. वो दिन उसके पास वहां पर कोई नहीं था जिससे वो अपने इस दर्द  को बाट  सके उसे लगा की अगर वो ये बात अब किसी को बताई तो उसकी दोस्ती बाकी सब से ख़राब हो जाएगी और ये बात उसके दिल तक ही रह गया ...

उस दिन से जो आखों से समंदर आना शुरू हुआ न जाने वो कितने सालो तक रहा. उस दिन पता नहीं क्या हो गया था उसे. दिन वैसे बीतते गए उसकी दोस्त उस लड़के क लिए लेटर सॉरी लेटर कार्ड्स पर कोटेशन सब कुछ इससे ही लिखवाती थी और ये बस चुप चाप बस अपनी दोस्ती निभाए जा रही थी... उसे मालूम था की अगर वो लड़की कुछ इसे कह देगी तो शायद उसकी ये दोस्त न बर्दास्त कर पाए... बस वो लड़की अपनी दोस्ती निभाते गयी. उसने उस लड़के से बात करना बिलकुल बंद कर दिया था. न तो उसकी तरफ देखती और न तो उससे एक शब्द बात करती. . बस धीरे धीरे वो सबसे अलग अलग  रहने लगी....

उसे नहीं समझ में आ रहा था की इस एहसास से कैसे बाहर निकले न तो इस बारे में किसी से कुछ पूछ पाती न बता पाती.  ज़िन्दगी उसके लिए पहेली की तरह हो गयी थी. हर दिन उस लड़के को अपनी दोस्त के साथ देखना. उसे समझ नहीं आ रहा था इन् सबसे वो दूर जाए तो आखिर कैसे  जाए .

Tuesday, August 13, 2013

यादें ..यादें ..यादें ..

बचपन ऐसी होती है जिसकी यादें हमारे ज़हन से हमारी आखरी सांस तक नहीं मिटती. कुछ अच्छी कुछ प्यारी कुछ मीठी कुछ खट्टी कुछ कड़वी यादें याद आती हैं. ये यादें किसी दिलो जाने के जाने के बाद आती है. .. यादें यादें ...  बहुत कोशिश करने पर भी इन् यादों को लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता.. बहुत खुश थी उस दिन वो लड़की उसके बड़े अच्छे अच्छे दोस्त बन गए थे. दिन गुज़रते जा रहे थे और वो लड़की लड़की भी बड़ी होती जा रही थी. गर्मी की मौसम थी शाम का वक़्त था. आज उसके पापा बहार डिनर पर ले जाने वाले थे. अब ये लड़की और इसकी मम्मी शाम से इसी की तयारी में लगे थे की कौन से कपडे पहन कर जाए. अब वो घड़ी आ गयी सब तयार होकर निकल रहे थे ये लड़की बहुत प्यारी लग रही थी रेड कलर का टॉप और रेड और वाइट कलर के स्कर्ट और रेड कलर की प्यारी सी जूती साथ ही बालो में रेड कलर के क्लिप. मानो परी आज ज़मीन पर उतर गयी होगई हो. सब  रेस्टुरेंट पहुच गए बहुत बड़ी रेस्टुरेंट थी. बहुत सरे लोग पहले से ही बैठे थे. इसके पापा ने साइड वाली टेबल पर बैठने को कहा. 

वेटर मेनू लेकर आया और इसके पापा ऑडर दे ही रहे थे की इस लड़की को इसका एक फ्रेंड मिल गया जो अपनी फैमली के साथ डिनर के लिए आया हुआ था और वो लोग डिनर कर रहे थे पहले से ही. इसके पापा ने अपने और इसकी मम्मी के लिए खाना आर्डर दिया और फिर इससे भी पूछा उन्होंने की तुम भी यही लोगी या कुछ और खाना है इसने कहा मैं तो चाउमिंग और पनीर चीली लुंगी.. खाना आने से पहले स्टार्टर तो आ गया और तीनो ने खाना शुरू किया..लेकिन ये लड़की की नजर बार बार अपने दोस्त पर जा रही थी और वो भी रुक रुक कर बार बार इसी को देख रहा था. इससे बड़ा अजीब सा लग रहा था इसे कुछ खाया ही नहीं जा रहा था. वो इसका दोस्त अपने क्लास का सबसे हैण्डसम लड़का था. दोनों लगातार एक दुसरे को बस देखते ही जा रहे थे. इसके पापा इससे कुछ कह रहे थे लेकिन इसके कान में मानो अजीब सी घंटी बज रही थी. इससे कुछ भी सुनायी नहीं दे रहा था की इसके पापा क्या कह रहे थे 

खाना हो गया अब खाने के बाद मीठा का आर्डर किया गया क्योंकि इसके पापा को मालूम था की इस लड़की का खाना मीठा के बगैर अधुरा होता है ,और इस लड़की को मीठा बहुत पसंद है . इसके पसंद की रसमलाई आई सबके लिए..उतने में वो लड़का उठकर  इसके  पास आकर इसे हाई किया. ये तो हैरान हो गयी की अब क्या कहे बस अपने पापा को देखने लगी. तो वो लड़का इसके पापा मम्मी को देख कर कहा नमस्ते अंकल नमस्ते आंटी हम दोनों क्लास मेट है स्कूल में साथ पढ़ते है... और फिर उसने कहा में भी अपनी फॅमिली के साथ डिनर के लिए आया हूँ .. इस लड़की के पापा ने कहा की आओ बैठो हमारे साथ मीठा खाओ तो बोला नै अंकल हमारा खाना हो गया बहुत खा लिया मैंने अब नहीं खा पाउँगा. तभी उस लड़के क पापा पीछे से आये उसे देखा और कहा कौन है क्या हुआ ? तो उसने कहा पापा हम क्लास मेट है साथ स्कूल में पढ़ते है ..और ये इसके पापा है और ये इसकी मम्मी .. सबने एक दुसरे हो नमस्ते किया , और फिर उस लड़के क पापा ने इन् लोगो को अपने साथ ज्वाइन करने को कहा पर उस लड़की के पापा ने मन किया लेकिन उस लड़के के पापा ने बहुत फाॅर्स किया.. अंत में इस लड़की के पापा तैयार हो गए. अब दोनों फॅमिली एक साथ बैठे है, और ये दोनों एक दुसरे को लगातार बस देखते ही जा रहे है बस. और दोनों के पेरेंट्स एक दुसरे से बात कर अपनी पहचान बढ़ा रहे थे.

सभी का खाना हो गया डिनर पूरा हुआ सब अपने घर लौटने को तैयार हो गए. इस लड़की के बहार आकर गाड़ी ठीक कर रहे थे तभी उस लड़के के पापा ने कहा आप लोग हमारे साथ आओ हम आप लोगो घर तक ड्राप कर देते है. इस लड़की के पापा ने मना किया कई बार. लेकिन फिर मान गए.. वो लोग इन् लोगो को घर तक ड्राप किया. ये दोनों एक दुसरे क पास बैठे थे. साथ ही लगातार एक दुसरे को देख रहा थे, घर आ गया सबने एक दुसरे को गुडनाईट कहा...घर आने के बाद सब ड्राइंग हाल में बैठे थे इस लड़की के पापा ने कहा अच्छी फॅमिली थी अच्छा लड़का था..अब तो इतना सुनकर कर इस लड़की की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था, वो अपने रूम में गयी और अकेले गाना गा कर डांस करने लगी.. उस दिन इस लड़की के ख़ुशी का  ठिकाना नहीं था मानो दुनिया की हर ख़ुशी इसको मिल गयी हो.

तभी हर दिन की तरह इसकी मम्मी आई और बोली कल स्कूल जाना है न बहुत रात हो गयी है जाकर सो जाओ. अब स्कूल का नाम सुन कर इसे सुबह का इंतजार होने लगा. इसने रात को अपनी बेस्ट  फ्रेंड को तुरंत फ़ोन करके उसे सारी बातें बताई. ..और एक नयी सुबह का इंतजार फिर से ...

Friday, April 12, 2013

सोच में डूबी शाम ...

स्कूल पहुँचने के बाद भी उस लड़की को अजीब सी हिचकिचाहट हो रही थी. उसे अब तक समझ नहीं आ रहा था की उसके साथ हो क्या रहा है. प्रेयर के बाद सारे बच्चे अपने अपने क्लास में चले गए. ये लड़की भी जाकर अपनी सीट पर बैठ गयी. आज इसने ये फैसला कर लिया था की अब उन् लड़कियों के साथ वो नहीं रहेंगी. घंटी पर होते गयी लंच टाइम हो गया. सब क्लास से बहार जा रहे थे लंच करने. वो सारी लड़कियों ने इसे भी बुलाया. लेकिन इसने कोई जवाब नहीं दिया और अनदेखा कर दिया. वो सब बहार ग्राउंड में जाकर लंच करने लगी. अब ये लड़की अकेले थी इसके साथ कोई दोस्त नहीं थी. आज इसने पूरा लंच भी नहीं किया. पूरा दिन अकेले रही. लंच के बाद क्लास शुरू हुई. इस लड़की के बगल में एक और लड़की बैठी थी उसने कहा की आज तुमने लंच अकेले क्यों किया? इस लड़की ने उसे कोई जवाब नहीं दिया. बस चुप चाप क्लास में पढाई पर ध्यान देती रही. आखरी पीरियड चल रहा था जिसमे टीचर ने सभी को सेल्फ स्टडी करने को कहा. ये लड़की चुप चाप बुक खोल कर बैठ गयी. इसके दिमाग में ये बात घर कर गयी थी. अब इसने सोचा ठीक है हँसते है तो सब हँसे मुझे इससे कोई मतलब नहीं. मई यहाँ पढने आई हूँ सिर्फ बस.
 
अब इसने ये तय कर लिया की अब में कुछ ऐसा करुँगी की ये सब मुझपर हंसने के बजाये खुद दोस्ती करने आये. अब इसने अपने बगल में जो लड़की बैठी थी उससे बात करना शुरू किया. धीरे धीरे इन दोनों के बीच अच्छी बातचीत होने लगी. छुट्टी की आखरी घंटी लगी. फिर सब धीरे धीरे लाइन में अपने क्लास से बहार गए. लाइन में वो लड़कियां इसके पीछे लगी थी. उनमे से एक ने पुछाआज तुम हम लोगो के साथ लंच क्यों नहीं करने आई.?? इसने कोई जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ते चली गयी. बस पर बैठी तो मालूम हुआ की उसके बस से तीन तीन टीचर भी जाया करेंगी. ये उनमे से एक भी टीचर को नहीं जानती थी. उसके बस के ड्राईवर ने इससे कहा की तुम यहीं पर साइड में किनारे बैठना इसी सीट पर तीनो मैंम आकर बैठेंगी. ये लड़की चुप चाप साइड हो गयी. तीनो टीचर आई और आकर इसके बगल में बैठ गयी. उनमे से एक  ने पुछा न्यू एडमिशन हो ? इसने धीरे से कहा हाँ. उस टीचर ने कहा किस क्लास में हो. इसने बहुत धीर  से जवाब दिया. तो उनमे से एक टीचर ने इससे कहा तुम इतने धीरे धीरे क्यों बोल रही हो ?? क्या तुम ऐसे ही बोलती हो या हम लोगो से डर ऐसे बोल रही ... इसने कहा 'नो मैंम' तो उस टीचर ने कहा डरने की बात नहीं है आवाज़ को बोल्ड करके बोलने चाहिए ऐसा बोला करो की लगे की तुममे कॉन्फिडेंस है. ये बात होते होते इस लड़की का घर आ गया और इसने बाय मैंम के कर चली गयी. घर में पहुचने के बाद इसकी मम्मी ने इससे पुछा कैसा रहा आज का दिन. इसने कहा अच्छा रहा. ये लड़की अपने रूम में जाकर ड्रेस चेंज की और खाना खाने बैठ गयी. इसे बार बार उस मैंम की बातें याद आ रही थी. वो बात इसे छु गयी थी. खाना खा कर ये टीवी देखने लगी. अब इसके दिमाग ये एक बात चल रही थी की अब मुझे ऐसा ही बनना है उस मैंम ने सही कहा अगर हम सीए होते तो शायद वो लड़कियां मुझपर  नहीं हंसती. लेकिन ये कैसे करेंगे. इसने सोचा मुझे तो इतना डर लगता है मै अपने इस डर को कैसे बहार निकलूंगी. टीवी चल रहा है और साथ ही साथ इसके दिमाग में बस ये बातें घर कर गयी थी.



शाम हो गयी ये बैठ कर अपना होमवर्क कर रही थी. होमवर्क पूरा हो गया अब ये ड्राइंग कर रही थी उसमे भी इसे होमवर्क मिला था. उधर से इसके पापा आते है और ड्राइंग करते देख कहने लगे की पढ़ने के समय पर ड्राइंग तुम्हारा आदत ये कब ख़त्म होगा ?? इसने कहा पापा ये भी होमवर्क में ही मिला है. तो इसके पापा ने कहा की ऐसे होमवर्क तुम्हे खेलने या टीवी देखने के समय करना चाहिए पढ़ाई के वक़्त ये नहीं चलेगा. अगली बार ऐसी गलती हम नहीं देखना चाहते. मायूस सी ये लड़की डरते डरते आखों में आशु लिए किसी तरह ड्राइंग को पूरा किया. रात हो गयी घर के सभी लोग साथ मिलकर खाना खाए और अब सोने का टाइम हो रहा था. इस लड़की को बिलकुल नींद नहीं आ रही थी इसे अब तक अपने सवालो के जवाब नहीं मिले थे. औए ऊपर से अब ये नहीं समझ आ रहा था की क्या  करे कैसे खुद में कॉन्फिडेंस लाये. घर में सब सो गए  थे. ये ऊपर टेरेस पर गयी और खुले आसमान में टीम टीमाते तारे देख रही थी. कहीं पर इसे हँसता चेहरा बना दीखता तो कहीं पर हल तो कहीं पर जाल में फसा एक चेहरा. ये सोचती रही. रात के करीब 2 बज गए. इसके आखो में बिलकुल नींद नहीं था इसके आखों में कुछ कर दिखने की उम्मीद भरी थी. अचानक पीछे से एक आवाज़ आती है. ये लड़की भागते हुए निचे जाती है उसके पापा ने कहा इतने रात में तुम टेरेस पर क्या कर रही हो कल स्कूल नहीं जाना है क्या ? इसने कहा नींद नहीं आ रही थी तो उसके पापा ने कहा नींद नहीं आ रही तो पढ़ाई नहीं क्या जाता ऊपर घूम रही हो इतने रात में .. जाओ जाकर सो... आखों में आशु लिए अपने रूम में गयी अपने तकिये को अपने आखो के पानी से भेगोते हुए सोच के उस दलदल में डूब गयी ......



Saturday, February 23, 2013

नया दिन नयी शाम

"11 अप्रैल " आज का दिन बहुत ख़ास था ... नए स्कूल का पहला दिन मन में एक डर था , लकिन ख़ुशी चेहरे से झलक रही थी ... पापा के साथ पहले दिन वो लड़की स्कूल गयी। शहर का सबसे बड़ा स्कूल और सबसे ज्यादा स्ट्रिक्ट। ऐसा स्कूल जहाँ अगर स्टूडेंट रह कर अच्छे से पढ़ ले तो उसकी ज़िन्दगी स्वर जाए। ये उस लड़की की किस्मत थी की यहाँ एडमिशन हो गया। क्योंकि यहाँ एडमिशन होना बहुत मुस्किल है। अपने पापा के साथ स्कूटर पर बैठ कर स्कूल पहुच गयी। उसके पापा स्कूल गेट के पास चोर कर वापस लौट गए। अन्दर कैम्पस में इंटर कर चारो तरफ देख रही थी। एक स्टूडेंट से उसने पूछा सिक्स सी क्लास कहाँ है। उस स्टूडेंट ने इसे बताया। ये अपने क्लास में गयी। क्लास में मिडिल रो के सेकंड बेंच पर इसने अपना बैग रख दिया। क्लास में कुछ स्टूडेंट पहले से मौजूद थे। कुछ ने कहा यहाँ पर मत बैठो ये किसी और की सीट है। इसने कुछ नहीं सोचा बोली ठीक है अगर कोई आयेगा तो हट जाउंगी। बेल रिंग हुआ निचे ग्राउंड में असेंबली होती हर दिन क्लास के स्टूडेंट के साथ ये अपने लाइन में जा खड़ी हुई। अस्सेम्बली ख़त्म हुई। सरे स्टूडेंट अपने अपने क्लास में लाइन से चले गए। वो लड़की सेकंड बेंच पर जाकर बैठ गयी। वहां पर कई स्टूडेंट थे। लेकिन उस बेंच पर दो लड़की ही बैठती थी। इसके बैठने पर वहां पर की लड़कियों को कोई फर्क नहीं पड़ा। ये लड़की जहाँ पर बैठी वहां पर लड़कियों का सबसे तेज और क्लास की सबसे ज्यादा स्मार्ट लड़कियां थी। इस लड़की का तो आज पहला दिन था लकिन क्लास 7th अप्रैल से ही चल रहा था। इसलिए बाकी स्टूडेंट्स का आज पहला दिन नहीं वो सभी एक दुसरे को पहले से जानते थे और उनमे से कुछ पुराने उसी स्कूल के स्टूडेंट थे। लकिन ये लड़की तो नयी थी। इसने सबसे बात करना शुरू किया। आज से फाइनली क्लास रेगुलर शुरू होने वाला था। क्लास के क्लास टीचर क्लास में आये और आज सारे स्टूडेंट को रूटीन दिया। इस लड़की के क्लास टीचर का सब्जेक्ट मैथ्स था। समझते समझते चार पीरियड पर हो गया अब लंच का टाइम आया। ये लड़की सोची की अब क्या करे लकिन स्टूडेंट्स के साथ ये बैठी सबने कहाँ चलो हमारे साथ लंच करना। तो और क्या था ये सबके साथ लुच की ढेर साडी बातें हुई। लकिन ये लड़की कुछ अन्कम्फ़र्टेबल फील कर रही थी। मनो कहीं न कहीं ये सारी इस ग्रुप की लड़कियां इसका मजाक बना रही हो। पूरा दिन ऐसे ही पर हो गया। छुट्टी हुई इसके पापा इसे लेने स्कूल पहुचे हुए थे। और उन्हें आज अभी स्कूल बस भी इसके लिए ठीक करनी थी। स्कूल बस ठीक हो गई अब अगले दिन से ये लड़की स्कूल बस से स्कूल जाया करेगी। पापा के साथ घर पहुची घर पहुचते ही इसकी मम्मी ने पूछा कैसा था आज का पहला दिन? इसने कहा ठीक था। उसकी मम्मी ने कहा चंगे करो और खाना खाओ। ये लड़की अपने रूम में गयी बहुत सरे सवाल थे इसके मन में ये समझ नहीं प् रही थी की सरे स्टूडेंट इसपर क्यों हंस रहे थे। क्यों इसका सब मजाक बना रहे थे। इसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। चेंज करके इसने कहाँ खाया उसे बाद होमवर्क बनाने बैठ गयी। साथ ही साथ कुछ सब्जेक्ट की कॉपियां लेकर आई थी। सरे होमवर्क और बचे नोट्स इसने पूरा किया। लकिन इसके ज़ेहन में ये सवाल चल ही रहे थे। ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं थी हर दिन स्कूल में कुछ ऐसा ही हो रहा था। पता नहीं क्यों इस ग्रुप की सारी लड़की इसका ऐसा मजाक क्यों बना रही थी। हर दिन उन् लोगो के साथ लंच करती लकिन इसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता। इसे समझ में नहीं आ रहा की क्या करे। ये कोशिश में थी की सिर्फ अपना धयान पढ़ाई पर लगाये लकिन दोस्त इसका एक हिस्सा होते है। पांच दिनों बाद एक लड़की आई और इसके पास आकर कहीं की हे तुमने मेरी जगह पर कैसे बैठा ? इस लड़की ने कहा मई तो पांच दिनों से यहीं बैठ रही हूँ। तो उस लड़की ने कहा this is my seat . मैं यहाँ पर तुमसे पहले से बैठती आई हूँ। तो बाकि सबने कहा यार ये सही कह रही है तुम पीछे वाली सीट पर चली जाओ ये इसका सीट है। इसकी तबियत ख़राब थी इस वजह से ये स्कूल नहीं आ रही थी। इसने कहा ठीक है। ये पीछे जाकर बैठी जहाँ दो लड़की बैठी थी। इसने वहां पर जाकर सबसे पहले पूछा यहाँ पर कोई तीस नहीं बैठता है। उस दूसरी लड़की ने कहा बैठ जाओ अब यहाँ पर तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी  
 
अब क्या था चौथे पीरियड के बाद लंच हुआ अब ये लड़की सोच ही रही थी की क्या करे इतने में ही फिर से वो लड़कियों उसे बुला ली साथ लंच करने को। ये लड़की पहले तो सोची की करे लेकिन फिर चली गयी सबके साथ। एक बार फिर से सबने उस लड़की का मजाक उड़ाया होता यूँ था की सब आपस में इसे देख कर बात करती और फिर सब हँसने लगती। इसे बड़ी खलती ये बात इसे समझ नहीं आ पा रहा था कि क्या बात है। धीरे धीरे ये लड़की उनलोगों से अलग आ गयी लंच के दौरान। बस सोचती रहती की क्या बात है। लंच ख़त्म हुआ वो अपने नए सीट पर जाकर बैठ गयी। उसके साथ दो लड़की और बैठी थी। धीरे धीरे उन दोनों से इसने बात करना शुरू किया। लेकिन अभी भी इसके दिमाग में ये सवाल बना था। आखिर क्यों वो सब इसपर हंसती है। आज फिर छुट्टी हो गयी। ये लड़की बस से घर चली गयी। बस पर भी ये लड़की सबसे बहुत कम बात करती। घर पहुँच कर हर दिन की तरह खाना खाया और फिर अपना होमवर्क करने लगी। लकिन न तो किसी भी चेज में इसका ध्यान लग पा रहा था। बस ये एक सवाल इसके दिमाग में घर कर गया था। अगले दिन सुबह हुई ये लड़की बिलकुल नहीं चाहती थी स्कूल जाना। लेकिन स्कूल तो जाना ही है। इसने सोचा मम्मी को ये बात बतानी चाहिए। मम्मी के पास गयी तो सुबह सुबह मम्मी किचन के काम में बिजी थी। बहुत हिम्मत किया इसने ये बात कहने को लेकिन नहीं कह पाई। इसकी मम्मी ने कहा क्या बात है आज स्कूल नहीं जाना है क्या तयार हो जाओ जल्दी वरना बस छुट जाएगी। अब तो कोई रास्ता था नहीं तयार हुई और बस से चली गयी स्कूल। लेकिन उसे अब तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला था...


अगले पोस्ट पे दिखिए क्या इसे अपने इस सवाल का जवाब मिलता भी है या नहीं या कुछ सवालो की तरह यह भी सिर्फ एक सवाल बन कर रह जाता है।


 

Saturday, November 3, 2012

“दस्तक देती ख़ुशयाँ”

भाग – 6 : आज का दिन बहुत ख़ास था , सुबह सुबह वो लड़की जाग गयी और बेसब्री से अपने पिता के ऑफिस जाने का इंतजार कर रही । उसके पिता भी टाइम से पहले तयार हो गए । मानो उनके लिए भी आज का दिन बहुत ख़ास था । उसकी माँ को भी आज के दिन का बेसब्री से इंतजार था घर में सभी को एक उम्मीद थी। उसके पिता ऑफिस जाने के पहले उसके नए स्कूल उसका रिज़ल्ट देखने जाने वाले थे। वो स्कूल पहुँचे वेटिंग लिस्ट मे क्वालीफाई स्टूडेंट के लिस्ट लगे थे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर उसके पिता ने रिज़ल्ट देखा और देख कर अपने ऑफिस पहुंचे। इधर ये लकी लड़की फोन के पास बैठी थी अपने पिता के फोन के इंतजार मे फोन रिंग किया इसने जल्दी से रिसिव किया ये फोन इसकी नानी था इसने तुरंत एपीआई माँ को बुलाकर फोन देदीय बिना कुछ बात किए। उसकी माँ ने लगभग 10 मिनट तक फोन बात की और ये टाइम देख रही इससे इंतजार नहीं हो रहा था, जैसे ही माँ ने फोन रखा इसने अपनी माँ से पूछा पापा के ऑफिस फोन करे उसकी माँ ने कहा पापा ने कहा है न रिज़ल्ट देखकर जैसे ऑफिस पाहुचेंगे फोन कर देंगे। तभी फोन आया रिंग हुआ एक बार रिंग होते ही वो लड़की फोन रेसिव की उसके पिता का ही फोन था। इस्स लड़की ने पूछा पापा रिज़ल्ट देख लिए क्या है रिज़ल्ट उसके पिता ने कहा तुम 2 सवालो के जवाब तो दिये ही नहीं थे तो रिज़ल्ट क्या होगा ! ये लड़की बिल्कुल चुप हो गयी ये कन्फ़र्म हो गयी की इस्स स्कूल मे अब इसका एड्मिशन नहीं होगा। तभी अचानक से इसके पिता कहते है तुम्हारा इस्स स्कूल मे हो गया अब नैक्सट वीक एड्मिशन के लिए चलना है। इस लड़की ने कहा क्या क्या हो गया सच में पापा इसके पिता ने कहा हाँ हो गया। यहाँ के प्रिंसिपल से मिल कर आ रहे फादर ने कहा तुम्हारा रिट्टेन टेस्ट बहुत अच्छा था मैथ्स मे एक सवाल का भी जवाब तुमने गलत नहीं दिया सारा सही था तुम्हारा एड्मिशन इसी मेरिट बेसिस पर हो रहा है। इतना सब कुछ कह कर उसके पिता ने फोन रख दिया। इधर इसकी माँ पूछी क्या हुआ क्या कहा तुम्हारे पापा ने इसने बताया सब कुछ उसकी माँ बहौत खुश हुई तुरंत भगवान के पास जाकर हाथ ज़ोरकर ईश्वर को धन्यवाद कहा। इधर इस्स लड़की को ये बात जानने के बाद इसकी खुशी का तो ठिकाना नहीं आज ये बहुत बहुत खुश थी इतनी खुश तो वो बहुत दिनो बाद थी। न जाने कितने दिनो बाद आज वो खुल कर हंस रही थी। आज का दिन उसके लिए बहुत ख़ास था। ये अप्रैल का महिना था दूसरी तारीख थी। इस्स लड़की ने अपनी डाइरि इस्स दिन को मार्क कर लिया। शाम हुई इसके पिता ऑफिस से घर वापस आए। आज वो भी बहुत खुश थे। ऐसा लग रहा था की घर मे खुशी ने अपनी जगह बना ली हो। सभी के चेहरे पर हसी थी। उसके पिता ऑफिस से जब आते थे घर शाम को तो इस्स लड़की के घर का नियम था रूटीन था की शाम को चाय और नसता होता तो घर के हर सदस्य साथ एक साथ बैठकर कुछ वक्त साथ बिताता। आज का दिन ख़ास था। ये लड़की बहुत खुश थी। आज रात का खाना कुछ ख़ास होने वाला था ये लड़की बनाने वाली थी। गेस क्रो क्या ? चौमिंग इस लड़की का फ़ेवरेट डिश। जो इसके पापा और इसकी माँ भी पसंद से ही खाते थे। इसकी माँ ने सारा सब्जी इसके लिए काट दिया था और फिर इसने बारी मन से मेहनत करके आज रात का खाना बनाया। रात के 9 बजे इसके घर के खाने का टाइम है इसका खाना भी तयार हो गया था। इसने रात का खाना निकाला और सबने साथ बैठ कर बड़े अच्छे से खाना खाया। ये लड़की चौमिंग बना सबसे पहले सीखी थी और ये चौमिंग बहुत अच्छी बनी है इसके पिता ने ये बात इससे कहा। खाना खाकर इसने थोड़ी देर टी॰वी॰ देखी और फिर अपने कमरे मे चली गयी सोने के लिए। बेड पर लेती लेटी लेटी सोच रही की आज बहुत दिनो बाद इसने अपने पापा को इसके कारण खुश होते देखा आज पहला दिन था जब इसके पिता इसके पढ़ाई को लेकर खुश हुए। अब ये सोचने लगी की शायद इसका सपना अब सच होता दिख रहा था इसे । ये इतनी खुश थी की इसे नींद नहीं आ रही थी। एक तरफ पापा को इतना खुश देखकर इसे बहुत खुशी हो रही थी और दूसरे तरफ फिर वो नए स्कूल मे जाने का डर ! अब क्या करे इसे कुछ समझ नहीं आ रहा। इसे लग रहा की पता नहीं कैसे स्टूडेंट्स होंगे कैसे फ़्रेंड्स नए बनाएँगे बहुत सारे सवाल इसके मन में उठ रहे थे। एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी। एक तरफ इतनी खुशी और दूसरे पल इतनी बेचैनी इसे कुछ समझ मे नहीं आ पा रहा था। आज का दिन इतना ख़ास था इसके लिए एक कॉन्फ़िडेंस आ रहा था इसमे आज की शायद मै भी कुछ कर सकती हूँ। जहाँ ये एक तरफ सोचने लगी थी की शायद ये सब बच्चो की तरह नहीं है लकीन आज का दिन इसकी इस सोच को बादल रहा था। इसे लग रहा था की शायद ये भी कुछ कर सक्ति है बाकी सब बच्चो की तरह । रात चाँद बहुत खुबसुरत दिख रहा था पुर्णिमा की रात थी चाँद पूरी तरह गोल चमकता दिख रहा था तारे चारो तरफ घिरे थे वो लड़की रात करीब 11बजे ऊपर टेरिस पर आई और ऊपर इस्स प्यारे से नजारे को उस मासूमियत से देख रही थी ।  मानो कई सारे सवाल इसकी जहन में थे जिनका जवाब इसके पास नहीं था और न तो बताने वाला था इसे कोई कुछ। तकरीबन रात के 12:30 बज रहे रहे थे इसने सोचा की अब नीचे अपने रूम में जाना चाहिए वरना पापा या माँ ने मुझे इतने रात मे यहाँ पर देख लिया तो मै बहुत डाट खा जाऊँगी, यह सोच कर अपने रूम में वापस चली गयी और अपने रूम में पाहुच कर आईने के सामने खड़े होकर ये सोचने लगी मै मै शायद अब कुछ कर सकती हूँ अपने और अपने पापा के सपनों को शायद पूरा कर सकती हूँ फिर अपने बेड पर लेटी लेटी यही बातें सोचते सोचते उस चाँदनी रात में रात के साथ वो भी खो गयी ॥