Thursday, February 20, 2014

ख़ामोशी

प्यार या मोहब्बत !! या एहसास का समंदर !! नहीं पता था उस लड़की को कुछ भी. बस सब कुछ बुरा लग रहा था.. धीरे धीरे वो वहां पर के अपने सारे  दोस्ते से दूरियां बढ़ने लगी. न तो किसी को फ़ोन करती न तो किसी के घर जाती. अलग अलग रहने लगी.... चुप चाप तनहाइयों की गोद में सर रख कर रात बिताती. नहीं पता था की अगला कदम वो अपना कैसे रखे. मानो लड़को से दूरियां बनाना शुरू कर दी थी  उसने. न जाने क्या था उसमे किसी चेज की कमी सी लग रही थी. लकिन वो इस बात को नज़र अंदाज़ करके अपना पूरा ध्यान सिर्फ पढाई पर लगा रही थी. अब बस उसके सपने में सिर्फ उसके मम्मी पापा के सपने को पूरा करने का सपना उसकी आखों में बस चूका था.
अब उसके लिए सिर्फ उसके मम्मी पापा ही थे जिनके लिए वो जीना चाहती थी. बस उनके सपने आखों में भर कर एक नयी दिशा के तरफ वो अपना कदम बढ़ा चुकी थी. वो अब दोस्तों से दूर रहना ही पसंद करती. इसी बीच उसकी एक फ्रेंड ने उसके घर का फ़ोन नंबर एक उसके ही क्लासमेट को दे दिया और वो उसके घर फ़ोन किया. इस लड़की को समझ में नहीं आया की ऐसा उसकी फ्रेंड ने किया क्यों ?? ये लड़की तो बहुत घबरा गयी. दुसरे दिन स्कूल में इसने पूछा की किसने दिया था फ़ोन नंबर उस लड़के को ?? सबने ने बताया की  वो लड़का इस लड़की के पीछे पड़ा था. धीरे धीरे इस लड़की ने तो स्कूल भी जाना बंद कर दिया. दसवी के एग्जाम आने वाले थे. ये लड़की बहार चली गयी उसके तयारी के लिए और धीरे धीरे इसने पापा से कह कर अपना फ़ोन का कनेक्शन भी कटवा दिया था.
अब घर में सर मोबाइल फ़ोन ही रहने लगा था. दिन बीतते जा रहा था. और इसने अपने सरे स्कूल फ्रेंड्स को लगभग पूरी तरह से चोर दिया था.
बोर्ड के एग्जाम नजदीक आ रहे थे और ये जोर शोर से तयारी में लगी हुई थी. इसे किसी भी कीमत पर अच्छे नंबर लेन थे क्योकि इसे बहुत्त बड़े बड़े सपने पुरे करने थे. जैसे जैसे एग्जाम के दिन नजदीक आ रहे थे इसकी घबराहट बढ़ते जा रही थी.वापस घर आ चुकी थी प्री बोर्ड्स के एग्जाम देने और अब यही पर रह कर तयारी हो रही थी.

बड़ी उलझन में पड़ी थी ये लड़की जहाँ ये ट्यूशन पढने जाती वो लड़का भी उसी जगह उसी टीचर से पढने आता था और इसके साथ एक टाइम पर. . इस लड़की के पास कोई और रास्ता नहीं था. हर उस लड़के को अपने आखों के सामने देखती पर एक ख़ामोशी की दीवार बनाये रखती अपने और उस लड़के के बीच.
कभी कभी ये घर में है भी या नहीं इसके मम्मी पापा को अंदाज़ा नहीं हो पता क्योंकि खामशी ने इसे घेर लिया था. एक रूम में होने के बाद भी किसी को एहसास नहीं हो पाता की ये लड़की भी वहीँ पर है. बस उस ख़ामोशी में अपने उन सपनो को उसने समेट लिया वो सपने जिनमे अभी पंख भी नहीं लगे थे. अब इस लड़की की सबसे अच्छी दोस्त ख़ामोशी ही बन चुकी थी.