Saturday, February 23, 2013

नया दिन नयी शाम

"11 अप्रैल " आज का दिन बहुत ख़ास था ... नए स्कूल का पहला दिन मन में एक डर था , लकिन ख़ुशी चेहरे से झलक रही थी ... पापा के साथ पहले दिन वो लड़की स्कूल गयी। शहर का सबसे बड़ा स्कूल और सबसे ज्यादा स्ट्रिक्ट। ऐसा स्कूल जहाँ अगर स्टूडेंट रह कर अच्छे से पढ़ ले तो उसकी ज़िन्दगी स्वर जाए। ये उस लड़की की किस्मत थी की यहाँ एडमिशन हो गया। क्योंकि यहाँ एडमिशन होना बहुत मुस्किल है। अपने पापा के साथ स्कूटर पर बैठ कर स्कूल पहुच गयी। उसके पापा स्कूल गेट के पास चोर कर वापस लौट गए। अन्दर कैम्पस में इंटर कर चारो तरफ देख रही थी। एक स्टूडेंट से उसने पूछा सिक्स सी क्लास कहाँ है। उस स्टूडेंट ने इसे बताया। ये अपने क्लास में गयी। क्लास में मिडिल रो के सेकंड बेंच पर इसने अपना बैग रख दिया। क्लास में कुछ स्टूडेंट पहले से मौजूद थे। कुछ ने कहा यहाँ पर मत बैठो ये किसी और की सीट है। इसने कुछ नहीं सोचा बोली ठीक है अगर कोई आयेगा तो हट जाउंगी। बेल रिंग हुआ निचे ग्राउंड में असेंबली होती हर दिन क्लास के स्टूडेंट के साथ ये अपने लाइन में जा खड़ी हुई। अस्सेम्बली ख़त्म हुई। सरे स्टूडेंट अपने अपने क्लास में लाइन से चले गए। वो लड़की सेकंड बेंच पर जाकर बैठ गयी। वहां पर कई स्टूडेंट थे। लेकिन उस बेंच पर दो लड़की ही बैठती थी। इसके बैठने पर वहां पर की लड़कियों को कोई फर्क नहीं पड़ा। ये लड़की जहाँ पर बैठी वहां पर लड़कियों का सबसे तेज और क्लास की सबसे ज्यादा स्मार्ट लड़कियां थी। इस लड़की का तो आज पहला दिन था लकिन क्लास 7th अप्रैल से ही चल रहा था। इसलिए बाकी स्टूडेंट्स का आज पहला दिन नहीं वो सभी एक दुसरे को पहले से जानते थे और उनमे से कुछ पुराने उसी स्कूल के स्टूडेंट थे। लकिन ये लड़की तो नयी थी। इसने सबसे बात करना शुरू किया। आज से फाइनली क्लास रेगुलर शुरू होने वाला था। क्लास के क्लास टीचर क्लास में आये और आज सारे स्टूडेंट को रूटीन दिया। इस लड़की के क्लास टीचर का सब्जेक्ट मैथ्स था। समझते समझते चार पीरियड पर हो गया अब लंच का टाइम आया। ये लड़की सोची की अब क्या करे लकिन स्टूडेंट्स के साथ ये बैठी सबने कहाँ चलो हमारे साथ लंच करना। तो और क्या था ये सबके साथ लुच की ढेर साडी बातें हुई। लकिन ये लड़की कुछ अन्कम्फ़र्टेबल फील कर रही थी। मनो कहीं न कहीं ये सारी इस ग्रुप की लड़कियां इसका मजाक बना रही हो। पूरा दिन ऐसे ही पर हो गया। छुट्टी हुई इसके पापा इसे लेने स्कूल पहुचे हुए थे। और उन्हें आज अभी स्कूल बस भी इसके लिए ठीक करनी थी। स्कूल बस ठीक हो गई अब अगले दिन से ये लड़की स्कूल बस से स्कूल जाया करेगी। पापा के साथ घर पहुची घर पहुचते ही इसकी मम्मी ने पूछा कैसा था आज का पहला दिन? इसने कहा ठीक था। उसकी मम्मी ने कहा चंगे करो और खाना खाओ। ये लड़की अपने रूम में गयी बहुत सरे सवाल थे इसके मन में ये समझ नहीं प् रही थी की सरे स्टूडेंट इसपर क्यों हंस रहे थे। क्यों इसका सब मजाक बना रहे थे। इसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। चेंज करके इसने कहाँ खाया उसे बाद होमवर्क बनाने बैठ गयी। साथ ही साथ कुछ सब्जेक्ट की कॉपियां लेकर आई थी। सरे होमवर्क और बचे नोट्स इसने पूरा किया। लकिन इसके ज़ेहन में ये सवाल चल ही रहे थे। ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं थी हर दिन स्कूल में कुछ ऐसा ही हो रहा था। पता नहीं क्यों इस ग्रुप की सारी लड़की इसका ऐसा मजाक क्यों बना रही थी। हर दिन उन् लोगो के साथ लंच करती लकिन इसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता। इसे समझ में नहीं आ रहा की क्या करे। ये कोशिश में थी की सिर्फ अपना धयान पढ़ाई पर लगाये लकिन दोस्त इसका एक हिस्सा होते है। पांच दिनों बाद एक लड़की आई और इसके पास आकर कहीं की हे तुमने मेरी जगह पर कैसे बैठा ? इस लड़की ने कहा मई तो पांच दिनों से यहीं बैठ रही हूँ। तो उस लड़की ने कहा this is my seat . मैं यहाँ पर तुमसे पहले से बैठती आई हूँ। तो बाकि सबने कहा यार ये सही कह रही है तुम पीछे वाली सीट पर चली जाओ ये इसका सीट है। इसकी तबियत ख़राब थी इस वजह से ये स्कूल नहीं आ रही थी। इसने कहा ठीक है। ये पीछे जाकर बैठी जहाँ दो लड़की बैठी थी। इसने वहां पर जाकर सबसे पहले पूछा यहाँ पर कोई तीस नहीं बैठता है। उस दूसरी लड़की ने कहा बैठ जाओ अब यहाँ पर तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी  
 
अब क्या था चौथे पीरियड के बाद लंच हुआ अब ये लड़की सोच ही रही थी की क्या करे इतने में ही फिर से वो लड़कियों उसे बुला ली साथ लंच करने को। ये लड़की पहले तो सोची की करे लेकिन फिर चली गयी सबके साथ। एक बार फिर से सबने उस लड़की का मजाक उड़ाया होता यूँ था की सब आपस में इसे देख कर बात करती और फिर सब हँसने लगती। इसे बड़ी खलती ये बात इसे समझ नहीं आ पा रहा था कि क्या बात है। धीरे धीरे ये लड़की उनलोगों से अलग आ गयी लंच के दौरान। बस सोचती रहती की क्या बात है। लंच ख़त्म हुआ वो अपने नए सीट पर जाकर बैठ गयी। उसके साथ दो लड़की और बैठी थी। धीरे धीरे उन दोनों से इसने बात करना शुरू किया। लेकिन अभी भी इसके दिमाग में ये सवाल बना था। आखिर क्यों वो सब इसपर हंसती है। आज फिर छुट्टी हो गयी। ये लड़की बस से घर चली गयी। बस पर भी ये लड़की सबसे बहुत कम बात करती। घर पहुँच कर हर दिन की तरह खाना खाया और फिर अपना होमवर्क करने लगी। लकिन न तो किसी भी चेज में इसका ध्यान लग पा रहा था। बस ये एक सवाल इसके दिमाग में घर कर गया था। अगले दिन सुबह हुई ये लड़की बिलकुल नहीं चाहती थी स्कूल जाना। लेकिन स्कूल तो जाना ही है। इसने सोचा मम्मी को ये बात बतानी चाहिए। मम्मी के पास गयी तो सुबह सुबह मम्मी किचन के काम में बिजी थी। बहुत हिम्मत किया इसने ये बात कहने को लेकिन नहीं कह पाई। इसकी मम्मी ने कहा क्या बात है आज स्कूल नहीं जाना है क्या तयार हो जाओ जल्दी वरना बस छुट जाएगी। अब तो कोई रास्ता था नहीं तयार हुई और बस से चली गयी स्कूल। लेकिन उसे अब तक इस सवाल का जवाब नहीं मिला था...


अगले पोस्ट पे दिखिए क्या इसे अपने इस सवाल का जवाब मिलता भी है या नहीं या कुछ सवालो की तरह यह भी सिर्फ एक सवाल बन कर रह जाता है।