Monday, September 30, 2013

बदलते एहसास

दिन और  वक़्त एक जैसे नहीं होते...... न जाने क्यूँ ये बातें सब के समझ में क्यूँ नहीं आता वैसे ही आज इस लड़की को ज़िन्दगी की ये सच्चाई समझ में नहीं आ रही थी....

मौसम बहुत प्यारा था दिल को छूने  वाला था. लेकिन आज फिर से अकेले उस तन्हाई में बैठी. न कोई पास था जिससे कुछ कह सके. तलाश थी ऐसे इन्सान की जिसे दिल की हर बात कह सके. लेकिन क्या पाता था ये ज़िन्दगी ऐसी होती है जहाँ आप किसी से भी अपनी दिल की बात नहीं कह सकते. लोग आपके एहसास का आपके जज़्बात का मजाक उड़ाते है . वो इस दुनिया के इस अनजान रूप के बारे में नहीं जानती थी और एक सपना देखने की जुर्रत कर दी . वो लड़की उस अपने क्लासमेट को पसंद करने लगी. कहते है प्यार अंधा होता है कोई इनसान प्यार  सोच सम्मझ कर नहीं करता लेकिन पता नहीं ये क्या हो गया. उसे कोई अंदाज़ा भी नहीं था की उसने क्या गलती कर डाली  है. उसकी ज़िन्दगी किस तरह से बदलने लगी थी.  न उसने सोचा और न उसे पता था की जीने के लिए इतने दर्द सभालने होगे, मुस्कुराओ तो  मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे. इन् चीजो से अनजान बेफिक्र. बस एक एहसास जिसे वो महसूस कर रही थी...उसे समझ नहीं आ रहा था की उसे क्या कहे.. क्या हो रहा था कुछ पता नहीं चल पा रहा था...

उसने सोचा की अपने दोस्तों को ये बात बताएगी लेकिन उसके पहले जो उसे पता चला उससे वो बिलकुल टूट सी गयी... मजाक मजाक में जो बातें हमेशा दोस्तों के साथ होती थी उसे आज उस सच्चाई का पता चला.

आज उसे पता चला की उस लड़के ने उसकी एक नजदीकी दोस्त को प्रपोज़ किया और उसकी दोस्त ने एक्सेप्ट भी कर लिया. वो दोनों एक दुसरे को बचपन से जानते थे साथ पड़ते आये थे. ये लड़की तो अभी अभी ही आई थी इसे इन् साडी बातो के बारे में कुछ पता नहीं था. वो दिन उसके पास वहां पर कोई नहीं था जिससे वो अपने इस दर्द  को बाट  सके उसे लगा की अगर वो ये बात अब किसी को बताई तो उसकी दोस्ती बाकी सब से ख़राब हो जाएगी और ये बात उसके दिल तक ही रह गया ...

उस दिन से जो आखों से समंदर आना शुरू हुआ न जाने वो कितने सालो तक रहा. उस दिन पता नहीं क्या हो गया था उसे. दिन वैसे बीतते गए उसकी दोस्त उस लड़के क लिए लेटर सॉरी लेटर कार्ड्स पर कोटेशन सब कुछ इससे ही लिखवाती थी और ये बस चुप चाप बस अपनी दोस्ती निभाए जा रही थी... उसे मालूम था की अगर वो लड़की कुछ इसे कह देगी तो शायद उसकी ये दोस्त न बर्दास्त कर पाए... बस वो लड़की अपनी दोस्ती निभाते गयी. उसने उस लड़के से बात करना बिलकुल बंद कर दिया था. न तो उसकी तरफ देखती और न तो उससे एक शब्द बात करती. . बस धीरे धीरे वो सबसे अलग अलग  रहने लगी....

उसे नहीं समझ में आ रहा था की इस एहसास से कैसे बाहर निकले न तो इस बारे में किसी से कुछ पूछ पाती न बता पाती.  ज़िन्दगी उसके लिए पहेली की तरह हो गयी थी. हर दिन उस लड़के को अपनी दोस्त के साथ देखना. उसे समझ नहीं आ रहा था इन् सबसे वो दूर जाए तो आखिर कैसे  जाए .