Monday, April 27, 2020

अनचाहा रास्ता ..

आज का दिन भी अजीब था,  लड़की चुप चाप बैठी सोचती रही, किसको दोस्त बोलू कौन है जिससे अपनी दिल की बात बता सकु अजीब है ये ज़िन्दगी न जाने क्या चाहता है , कुछ सोचा समझा भी नहीं है अभी तक | अब बस यही सोच रही रही की की सिर्फ पढ़ना ही ज़िन्दगी है, लोग सरे ऐसे ही होते है , किसी को कुछ बताया नहीं जा सकता| अब अपना रास्ता अकेले ही चुनना है और अब अकेले ही चलना है , लड़की को अब लड़को से काफी नफ़रत सी होने लगी थी , क्यूंकि कुछ समय पहले से उसने ऐसे ऐसे लड़को को देखा था मनो की वो तबाही के अलावा और कुछ नहीं कर सकते | ज़िन्दगी चलती जा रही थी , उसके पापा का फिर ट्रांसफर हो गया। अब वो लड़की इंटर भी कर चुकी थी हालाँकि बहुत अच्छे अंक तो नहीं लेकिन कुछ करने कुछ कर गुजरने की छह जरूर थी उसमे | 
अब ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने की होर लगी थी | लड़की जहाँ चाहती थी वहां एडमिशन तो नहीं हो सका , जो विषय चाहती थी वो तो नहीं मिल पाया | लेकिन हाँ कुछ नया अलग करने का एक छोटा सा रास्ता जरूर मिल गया था | 
कॉलेज में नए दोस्त बनाये बहुत नजदीकी तो नहीं  लेकिन कुछ सच्चे थे उनमे से ,  लेकिन दोस्त काम थे  सब कुछ थी ठीक चल रहा था | अचानक एक दिन उस लड़के से फिर से बात हुई थी | वो बहुत ही घमंडी हो चूका था | फिर उस लड़की ने ठान लिया था कुछ भी हो जाये उससे अब कभी बात नहीं करनी है | 

वक़्त बीतता जा रहा था , समय का पहिया बहुत तेज़ी से घूम रहा था | एक शक्श को  आज देखा था देख कर लागा  की उसे जानती है वो , लेकिन फिर नज़र अंदाज़ कर दी। इन उलझन में कभी पड़ना चाहती ही नहीं थी कभी वो | दूसरा साल भी गुजरता गया .. .. अब ये चाहती थी की साथ साथ कुछ काम भी किया जाये | बच्चे इस लड़की को बहुत पसंद थे अपने पढ़ाई के साथ साथ ये छोटे छोटे बच्चो को पढ़ना शुरू कर दी थी | 

समय का पहिया तेज़ी से चल रहा था, उस अनजाने चेहरे से इस बार बात हुई थी | बात हुई एक दूसरे को जाना पहचाना .. .