Saturday, November 3, 2012

“दस्तक देती ख़ुशयाँ”

भाग – 6 : आज का दिन बहुत ख़ास था , सुबह सुबह वो लड़की जाग गयी और बेसब्री से अपने पिता के ऑफिस जाने का इंतजार कर रही । उसके पिता भी टाइम से पहले तयार हो गए । मानो उनके लिए भी आज का दिन बहुत ख़ास था । उसकी माँ को भी आज के दिन का बेसब्री से इंतजार था घर में सभी को एक उम्मीद थी। उसके पिता ऑफिस जाने के पहले उसके नए स्कूल उसका रिज़ल्ट देखने जाने वाले थे। वो स्कूल पहुँचे वेटिंग लिस्ट मे क्वालीफाई स्टूडेंट के लिस्ट लगे थे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर उसके पिता ने रिज़ल्ट देखा और देख कर अपने ऑफिस पहुंचे। इधर ये लकी लड़की फोन के पास बैठी थी अपने पिता के फोन के इंतजार मे फोन रिंग किया इसने जल्दी से रिसिव किया ये फोन इसकी नानी था इसने तुरंत एपीआई माँ को बुलाकर फोन देदीय बिना कुछ बात किए। उसकी माँ ने लगभग 10 मिनट तक फोन बात की और ये टाइम देख रही इससे इंतजार नहीं हो रहा था, जैसे ही माँ ने फोन रखा इसने अपनी माँ से पूछा पापा के ऑफिस फोन करे उसकी माँ ने कहा पापा ने कहा है न रिज़ल्ट देखकर जैसे ऑफिस पाहुचेंगे फोन कर देंगे। तभी फोन आया रिंग हुआ एक बार रिंग होते ही वो लड़की फोन रेसिव की उसके पिता का ही फोन था। इस्स लड़की ने पूछा पापा रिज़ल्ट देख लिए क्या है रिज़ल्ट उसके पिता ने कहा तुम 2 सवालो के जवाब तो दिये ही नहीं थे तो रिज़ल्ट क्या होगा ! ये लड़की बिल्कुल चुप हो गयी ये कन्फ़र्म हो गयी की इस्स स्कूल मे अब इसका एड्मिशन नहीं होगा। तभी अचानक से इसके पिता कहते है तुम्हारा इस्स स्कूल मे हो गया अब नैक्सट वीक एड्मिशन के लिए चलना है। इस लड़की ने कहा क्या क्या हो गया सच में पापा इसके पिता ने कहा हाँ हो गया। यहाँ के प्रिंसिपल से मिल कर आ रहे फादर ने कहा तुम्हारा रिट्टेन टेस्ट बहुत अच्छा था मैथ्स मे एक सवाल का भी जवाब तुमने गलत नहीं दिया सारा सही था तुम्हारा एड्मिशन इसी मेरिट बेसिस पर हो रहा है। इतना सब कुछ कह कर उसके पिता ने फोन रख दिया। इधर इसकी माँ पूछी क्या हुआ क्या कहा तुम्हारे पापा ने इसने बताया सब कुछ उसकी माँ बहौत खुश हुई तुरंत भगवान के पास जाकर हाथ ज़ोरकर ईश्वर को धन्यवाद कहा। इधर इस्स लड़की को ये बात जानने के बाद इसकी खुशी का तो ठिकाना नहीं आज ये बहुत बहुत खुश थी इतनी खुश तो वो बहुत दिनो बाद थी। न जाने कितने दिनो बाद आज वो खुल कर हंस रही थी। आज का दिन उसके लिए बहुत ख़ास था। ये अप्रैल का महिना था दूसरी तारीख थी। इस्स लड़की ने अपनी डाइरि इस्स दिन को मार्क कर लिया। शाम हुई इसके पिता ऑफिस से घर वापस आए। आज वो भी बहुत खुश थे। ऐसा लग रहा था की घर मे खुशी ने अपनी जगह बना ली हो। सभी के चेहरे पर हसी थी। उसके पिता ऑफिस से जब आते थे घर शाम को तो इस्स लड़की के घर का नियम था रूटीन था की शाम को चाय और नसता होता तो घर के हर सदस्य साथ एक साथ बैठकर कुछ वक्त साथ बिताता। आज का दिन ख़ास था। ये लड़की बहुत खुश थी। आज रात का खाना कुछ ख़ास होने वाला था ये लड़की बनाने वाली थी। गेस क्रो क्या ? चौमिंग इस लड़की का फ़ेवरेट डिश। जो इसके पापा और इसकी माँ भी पसंद से ही खाते थे। इसकी माँ ने सारा सब्जी इसके लिए काट दिया था और फिर इसने बारी मन से मेहनत करके आज रात का खाना बनाया। रात के 9 बजे इसके घर के खाने का टाइम है इसका खाना भी तयार हो गया था। इसने रात का खाना निकाला और सबने साथ बैठ कर बड़े अच्छे से खाना खाया। ये लड़की चौमिंग बना सबसे पहले सीखी थी और ये चौमिंग बहुत अच्छी बनी है इसके पिता ने ये बात इससे कहा। खाना खाकर इसने थोड़ी देर टी॰वी॰ देखी और फिर अपने कमरे मे चली गयी सोने के लिए। बेड पर लेती लेटी लेटी सोच रही की आज बहुत दिनो बाद इसने अपने पापा को इसके कारण खुश होते देखा आज पहला दिन था जब इसके पिता इसके पढ़ाई को लेकर खुश हुए। अब ये सोचने लगी की शायद इसका सपना अब सच होता दिख रहा था इसे । ये इतनी खुश थी की इसे नींद नहीं आ रही थी। एक तरफ पापा को इतना खुश देखकर इसे बहुत खुशी हो रही थी और दूसरे तरफ फिर वो नए स्कूल मे जाने का डर ! अब क्या करे इसे कुछ समझ नहीं आ रहा। इसे लग रहा की पता नहीं कैसे स्टूडेंट्स होंगे कैसे फ़्रेंड्स नए बनाएँगे बहुत सारे सवाल इसके मन में उठ रहे थे। एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी। एक तरफ इतनी खुशी और दूसरे पल इतनी बेचैनी इसे कुछ समझ मे नहीं आ पा रहा था। आज का दिन इतना ख़ास था इसके लिए एक कॉन्फ़िडेंस आ रहा था इसमे आज की शायद मै भी कुछ कर सकती हूँ। जहाँ ये एक तरफ सोचने लगी थी की शायद ये सब बच्चो की तरह नहीं है लकीन आज का दिन इसकी इस सोच को बादल रहा था। इसे लग रहा था की शायद ये भी कुछ कर सक्ति है बाकी सब बच्चो की तरह । रात चाँद बहुत खुबसुरत दिख रहा था पुर्णिमा की रात थी चाँद पूरी तरह गोल चमकता दिख रहा था तारे चारो तरफ घिरे थे वो लड़की रात करीब 11बजे ऊपर टेरिस पर आई और ऊपर इस्स प्यारे से नजारे को उस मासूमियत से देख रही थी ।  मानो कई सारे सवाल इसकी जहन में थे जिनका जवाब इसके पास नहीं था और न तो बताने वाला था इसे कोई कुछ। तकरीबन रात के 12:30 बज रहे रहे थे इसने सोचा की अब नीचे अपने रूम में जाना चाहिए वरना पापा या माँ ने मुझे इतने रात मे यहाँ पर देख लिया तो मै बहुत डाट खा जाऊँगी, यह सोच कर अपने रूम में वापस चली गयी और अपने रूम में पाहुच कर आईने के सामने खड़े होकर ये सोचने लगी मै मै शायद अब कुछ कर सकती हूँ अपने और अपने पापा के सपनों को शायद पूरा कर सकती हूँ फिर अपने बेड पर लेटी लेटी यही बातें सोचते सोचते उस चाँदनी रात में रात के साथ वो भी खो गयी ॥
  

Sunday, September 30, 2012

पल पल की ख़ुशी :

भाग 5 :  उस दिन मौसम बहुत  प्यारा था उस हवा में एक जादू सा था  ..जो सीधे दिल तक पहुच रही थी | उस मौसम में अकेले ऊपर छत पर बैठी वो छोटी सी लड़की ऊपर खुले आसमां को एक नजर से देखी जा  रही थी .. अचानक उसे उस आसमा में एक छिपा चेहरा नजर आया वो देखते रही बहुत कोशिश  की उस चेहरे को देखने की उसे पहचानने की .... लेकिन  उसे नहीं पता चल पाया उस चेहरे में कौन छिपा था .... उसे समझ में नहीं आया की आखिर वो किसका चेहरा था किसकी  तस्वीर थी जो उसे समझ में नहीं आ पाया  .....अकेले बैठे - बैठे वो अपने  ख्यालो में खोयी  थी सोच रही थी की ऐसा क्या करे जो उसके माता पिता का नाम उचा हो वो लोग उस्सपर गर्व महसूस करे ...आखिर ऐसा कौन सा काम करे अपनी पहचान इस दुनियां में कैसे बनाये ......फिर अचानक  उसे ध्यान आता की कल उसे नए स्कूल के  इंटरव्यू के लिए जाना है | रात बहुत हो चुकी थी इसे नींद बिलकुल नहीं आ रही थी....फिर इसे लगा की अगर नहीं सोया इसने तो कल सुबह कहीं लेट न हो जाये और  इसे अपने माता पिता के नाम को उचे आसमां में पहुचना था ताकी गर्व से इसके माता पिता इसे अपनी बेटी कह सके कुछ अलग करना एक अलग करने की चाहत से हर दिन रात को अपनी आखें बंद करती हर दिन एक  उम्मीद में जीती की कोई तो सुबह ऐसी आएगी उसे नहीं पता की उसे क्या करना ठीक होगा और सबसे बड़ी बात वो ये बात किसी को बतला भी नहीं सकती ....ये लड़की अपने रूम में आई और यही साडी बातें सोचते सोचते सो गयी ....सुबह....सुबह... उसकी माँ आती है उसे उठाती है उठो बेटा सुबह हो गयी है तुम्हे आज स्कूल में    इंटरव्यू  के लिए जाना है |  इस बात पर उसकी आख खुली और तब ये ख्याल आया की दोस्त तो वो नए स्कूल में भी बना सकती है और उसके घर में भी सभी को मन है की वो इस स्कूल में पढ़े ये भी सोच ली की आज अपने तरफ से पूरी कोशिश करेंगे .... टायर हुई और अपने पिता के साथ स्कूल को चली गई.... आखरी दूसरा नंबर इसका था इसकी बरी आई  इंटरव्यू की तो इसके साथ इसके पिता भी अन्दर गए क्योकि साथ परेंट्स को भी  जाना था कुछ सवाल इससे किये गए कुछ इसके पिता से इसने सारे सवाल के सही जवाब दिए बस दो सवालो के जवाब नहीं आते थे एक तो इससे पूछा गया who is the chairman of planning commission? जिसका जवाब इसे नहीं पता था  इसने कहा नहीं मालूम तो टीचर ने इसे बताया की PM  होता है...और दूसरा सवाल एक इंलिश वर्ड का अर्थ था जो इसे नहीं पता था इसने कभी सुना भी नहीं था ये लड़की बहुत घबरायी हुई थी सरे सवाल का जवाब डर डर कर दे रही थी... टीचर ने इसके पिता से भी कुछ सवाल किये और फिर वो अपने पिता के साथ घर आ गयी.. इसने कभी नहीं सोचा था की कुछ ऐसा भी कभी होगा और अब पांच दिन के बाद इसका रिजल्ट आने वाला था अगर यहाँ इस स्कूल में इसको दाखिला मिल जाता तो इसके पिता बहुत खुश होते ... धीरे धीरे दिन बीत रहा था इसे अपने रिजल्ट का बेहद जल्द इंतजार था...दुसरे  दिन वो लड़की घर पर दिन में अपनी गुढ़िया के साथ खेल रही थी की अचानक  जोर की आवाज़ सुनाई दी उसे वो उस आवाज़ के तरफ भागते हुए गई बहार जाकर देखि तो एक छोटे से बच्चे को उसकी माँ बहुत जोर जोर से मार रही थी तभी इस लड़की की माँ भी बाहर पहुंची और तभी उन्होंने उस औरत से कहा जो अपने बच्चे को बुरी तरह मार रही थी की क्यों मार रहीं है? आप अपने बेटे को, वो बोली " देखिये इसे हर वक़्त कुछ न कुछ चाहिए होता है खाने को हर घंटे इससे खाना चाहिए बतईये की मैं इसे हर वक़्त सिर्फ खाना ही देते रहूँ की और भी कई काम होते है मुझे लकिन ये हमेशा जिद पर ही रहता है भला कोई हर घंटे खाना खता है मैं तो तंग आ गई हूँ इस लड़के से "  हाय राम मैं क्या करूं इस लड़के का! वो औरत अपना सर पकड़े निचे जमीन पर बैठ गई.... ये लोग इस लड़की के पड़ोसी थे जहाँ ये सब किराये के माकन में रहते थे .... ये सब देख कर वो लड़की के आख में पानी आ गई उसे उस लड़के को देख कर वो सोचने लगी क्या कोई ऐसी भी माँ होती है जो अपने बच्चे को इस कारन इतना मरती है क्योकि वो ज्यादा खाता है...उसे तो बहुत अजीब लगा यहाँ उसके घर में  उसकी माँ हमेशा ये कोशिश में रहती दिन भर की वो हमेशा कुछ खाते रहे और वहां पर उल्टा है वो लड़का खाना चाहता लेकिन  उसकी माँ नहीं देना चाहती इस घटना तो देख कर इस लड़की को एक गहरी भावना पर इसे सोचने के लिए मजबूर कर दिया ...उस दिन इसे ये एहसास हुआ की ऊपर वाले ने उसे सबसे प्यारी चेज तोफे में दिया है उसके माता पिता को जो शायद दुनिया के सबसे अच्छे  माता पिता होंगे उस दिन उसने यह तय किया अब अगर उसे कुछ भी करना है तो सिर्फ अपने माता पिता के लिए बस अब और कुछ नहीं.... अगले दिन रिजल्ट आने वाला था उस लड़की से खाना तक नहीं खाया जा रहा था वो बहुत घबराई हुई थी...उसके पिता उसका रिजल्ट देखने गए और फिर घर पर फ़ोन कर्क बताया की उसका इस पहले लिस्ट में नहीं हुआ ये बहुत दुखी हो गयी उस दिन इसने पूरा दिन कुछ भी खाना नहीं खाया इसी माँ ने इसे समझाया की अगर नहीं होता है तो कोई बात नहीं तुम अब भी एक अच्छे स्कूल में ही पढ़ रही हो और दूसरा लिस्ट भी तो रिजल्ट का बचा हुआ है ...दो दिन के बाद दूसरा लिस्ट आने वाला था .....इस लड़की से ये दो और दिन इंतजार नहीं हो रहा था क्योकि ये जानती थी इसके इस रिजल्ट में इसकी ख़ुशी से ज्यादा इसके पिता ख़ुशी छिपी थी जो शायद उसके पिता के बिना पढ़े उनकी आखों में इसने पढ़ लिया था ये दो दिन इससे नहीं कट रहे थे की क्या होगा अब.......

आगे की कहानी अगले पोस्ट में....

Thursday, August 23, 2012

"मन की चाहत"

भाग 4 :
 
 
दुसरे दिन सुबह के 4 :30 बजे के करीब वो लड़की सो रही थी अचानक उससे उसके  पिता की आवाज़ जोर जोर से सुनाई देने लगी मानो वो किसी को डाट रहे हो इसकी आख खुली तो इसने अपने टेस्ट पेपर खोजा जो ये हाथ में लिए सो गयी थी उससे नहीं मिला ... ये समझ गयी इसके पिता ने वो टेस्ट पेपर देख चुके और इसी बात पर गुस्सा हो रहे है... वो जल्दी से जागी और अपने पिता के पास गयी उसके पिता के हाथ में वो टेस्ट पेपर था... वो बोले तुमने ये मुझे पहले क्यों नहीं दिखाया ? वो काफी देर चुप रही  कुछ नहीं बोली फिर धीरे से  कहा इस पर आपके दश्तखत चाहिए.....टीचर ने सरप्राईज टेस्ट लिया था कुछ भी रेविसिओं नहीं किया था मैंने तो हम सब दोस्तों ने एक साथ एक दुसरे की मद्दत करके लिखा लकिन टीचर को सब पता चल गया और उन्होंने कॉपी पर ये रिमार्क्स लिख कर भेजा और कहा आपसे इस पर दश्तखत  करवा कर लाने को...... वो आगे कुछ बोलने वाली थी की उसके पिता ने कहा और इसलिए ही तुम कल स्कूल नहीं गयी ... उसने अपना सर हिला कर जवाब दिया हाँ का...... उसके पिता ने कहा जिस दिन मिला था उस दिन तुमने ये मुझे क्यों नहीं दिखलाया बोलो जवाब दो वो लड़की चुप रही कुछ नहीं बोली उसके पिता ने फिर कहा की तुमने पहले क्यों नहीं दिखया ये मुझे वो कुछ नहीं बोली चुप रही उसके पिता लगातार कई बार पूछे लकिन उसने जवाब नहीं दिया वो कुछ नहीं बोली उसके पिता का गुस्सा तेजी से बढ़ते जा रहा था उन्होंने साईन किया और कॉपी को जोर से फेक दिया जो दुसरे कमरे के दरवाजे पर जाकर जीर गया वो लड़की खूब रोई लकिन कुछ नहीं बोली और धीरे से अपने कॉपी को उठा कर दुसरे र्रोम में चली गयी..... और बीस्तर पर लेट कर खूब रोया उसने..... सुबह करीब 5 :15 वो लगातार रो रही उसकी मम्मी आई और कहा रोना बंद करो तुम अगर पहले खुद दिखा देती पेपर तो पापा तुम्हारे इनता गुस्सा नहीं करते और अब उठो स्कूल जाना है या आज भी नहीं जाना!
वो कुछ नहीं बोली चुप चाप उठी खुद तयार हुई और स्कूल के लिए चली गयी ..... पूरा दिन स्कूल में वो शांत रही किसी से कुछ बोलना नहीं बात नहीं बस जो पढाई हुई चुप चाप करती रही सब उससे बहुत बात करने की कोशिश किये लेकिन वि कुछ नहीं बोली अकेले शांत बैठी रही....सबने बहुत कोशिश की उसे मानाने की उसे हँसाने की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ वो अकेले गुम सी हो गयी थी.....
सुबह से उसके दिमाग में एक अजीब और गरीब से ख्याल आ रहे थे उसे उस दिन से ये लगने लगा की उसकी बातो को कोई नहीं समझ पायेगा
वो अब किसी से कुछ भी नहीं कहती हमेशा चुप सी हो गई न ज्यादा बोलती न कुछ बात करती.....उसने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो जाये वो सिर्फ पढाई पर ही ध्यान देगी अब... उसे पेंटिंग करना बहुत अच्छा लगता था लकिन ये इस बात को अपने दिल में रखती न किसी से कहती न बोलती... दिन बीतते गए धीरे धीरे ये लड़की बड़ी होते गयी..थोड़ी थोड़ी पढाई में उसके सुधर आते गया चौथी कछा के ईम्तिहान में अपने क्लास में चौथे नंबर पर आई सबने ने उसको बहुत बधाई दी उससे बहुत अच्छा लगा लेकिन सबसे अच्छा तब लगा जब उसके पिता ने उसकी तारीफ़ की सब कुछ ठीक हो रहा था लकिन उससे एक बात बहुत परेशां कर रही थी... उससे सपने देखने की बहुत आदत थी वो हमेशा अपने सपनो की दुनिया में खोयी रहा करती थी.... पांचवी क्लास में पढाई बढ़ते जा रही थी....वो सोचती ज्यादा थी उससे दर था की उसकी थोड़ी सी लापरवाही के कारन उसके नंबर कहीं फिर से कम न आ जाये लेकिन सब कुछ ठीक था उसकी एक दोस्त अभिलाषा इस बार उसका सेक्सन बदल गया था अब ये दोनों दोस्त एक दुसरे से कम मिलने लगे और दुरियाँ बढ़ते चली गयी ये और भी अकेले रहने लगी इसके साथ इसका दोस्त अजय साथ बैठता था और हमेशा इससे हंसाने की कोसिस करता वो इसे बहुत अच्छे से समझता था ये लड़की जब इससे बात करती तो खुद को हल्का महसूस करती..ये दोनों धीरे धीरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे ज्यादा तर टाइम एक दुसरे के साथ गुज़ारते गए अब तो उनके क्लास में में सारे दोस्त उन् दोनों से मजाक करते की वो दोनों एक दुसरे को पसंद करते लेकिन सब जानते थे की वो दोनों सिर्फ एक अच्छे दोस्त है बस. 
एक दिन की बात है वो लड़की अकेले बैठी थी सोच रही थी की कैसे अपने सपनो को अपने पिता के सपने के साथ लेकर पूरा करे और वहीँ पर बैठे बैठे  सोचने लगी काश उसके पिता को पेंटिंग और डांस भी अच्छा लगता जिससे वो साथ साथ कर सकती काश उसका दिमाग भी हर बच्चो की तरह तेज होता जैसे सब पढाई के साथ सब कुछ कर सकते है वो भी कर सकती होती....लकिन उसकी सबसे बड़ी परेशानी की वो घंटो याद करती पर उससे कुछ याद नहीं होता एक चेज याद करते करते सुबह से शाम हो जाता उसकी ये परेशानी दिन पर दिन बढ़ते जा रही थी वो बहुत कोशिश करती हर वक़्त पढ़ते रहती लकिन उससे याद नहीं हो पता था उसकी ये परेशानी कोई नहीं समझ रहा था.... जब वो चौथी क्लास में थी तो पहली बार उसने कंप्यूटर को देखा छुआ था उस पहले दिन के क्लास में उसे अपने सपने को एक नयी मोर में डाल दिया. उस दिन वो बहुत खुश थी और ये एक ऐसा सुब्जेक्ट हो गया उसके लिए जिस पर वो सबसे ज्यादा ध्यान देती .. लेकिन उसके याद न होने की बीमारी यहाँ पर भी परेशान करती... अब वो सोचती की इससे कैसे दूर करे ये बात उसके घर में उसके पिता को पता था की इससे याद नहीं होता लेकिन वो हमेशा उसे ये कह कर डाटते की वो पढना नहीं चाहती पढाई पर उसका धयान नहीं रहता लेकिन हर दिन वो लड़की अपने तरफ से पूरी  कोशिश करती की उसे याद रहे लेकिन नहीं हो पा रहा था . पांचवी  क्लास की आखरी इम्तिहान  था ये लड़की अपनी तरफ से पूरी तरह से तयारी की पूरी कोशिश की तो इसके नंबर तो ठीक ही आये लेकिन बहुत अच्छे नहीं थे . अब उसे और बड़ी क्लास में जाना था और ज्यादा पढाई उसे और म्हणत करनी थी उसके पिता ने सोचा की उसे इससे भी अच्छे स्कूल में डाल दु उस शहर का सबसे अच्छे स्कूल में ये टेस्ट देने गयी टेस्ट में तो हो गया लेकिन इंटरव्यू बाकी था ये लड़की बहुत घबरायी हुई थी . एक तरफ इससे लग रहा था की इसके सरे दोस्त छुट जायेंगे और फिर उनसे ये कभी नहीं मिल पायेगी और दूसरी तरफ इसके पिता की उम्मीद की इसका इस सबसे अच्छे स्कूल में  एडमिशन  होना इससे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ये......उस रात खाना खा कर वो अकेले अपने रूम जाकर बैठी थी उसे नींद नहीं आ रही थी उसे बड़ा डर लग रहा था उससे दुसरे स्कूल में जाने का बिलकुल मन नहीं था यहाँ उसके बहुत अच्छे अच्छे दोस्त बन गए थे. लेकिन वो अपने पिता को इस कारन मना भी नहीं कर सकती थी. ......
 
अगले पोस्ट में देखिये ये लड़की जाती है या नहीं और जाती है तो उसका इस नए स्कूल में दाखिला होता है या नहीं....
 

Sunday, August 5, 2012

एक सच बचपन का ..

भाग - ३
दूसरा  दिन स्कूल का :  वह लड़की स्कूल गयी लेकिन उसने इंग्लिश का होमवर्क नहीं किया था. वो अपनी टीचर  के  पास गयी और कहा मैम मुझे कर्सिव राईटिंग नहीं आती है तो उसकी टीचर ने उसे खूब डाटा और कहा तुमने कल ये बात मुझसे क्यों नहीं कही  फिर टीचर ने उसकी  कॉपी में लिख  कर दिया  a to z .. और फिर ब्लैक बोर्ड पर लिख कर सभी बच्चो को बताया .
उस दिन नए दोस्तों के साथ उस लड़की ने बड़ा मज़ा किया.  सारे  टीचर से  बच्चे मिल ही चुके थे लकिन एक टीचर बाकी थी social studies की वो छुट्टी पर थी.. दिन बीतते गए उस लड़की के कुछ अच्छे दोस्त बन गए थे एक का नाम अभिलाषा था और एक का अमन और तीसरे का अजय था नेहा भी उसकी अच्छी दोस्त थी लकिन वो हमेशा सबसे अलग अलग रहती...
एक दिन की बात है social studies की टीचर बहुत सख्त थी वो हमेशा क्लास में पढाने के बाद उसका टेस्ट लेती oral और written दोनों में..सरे बच्चो को oral टेस्ट में बहुत डर  लगता और सबसे ज्यादा तो इस लड़की को आता सब कुछ पढ़ कर भी आती लेकिन जब टीचर सवाल करती तो सब भूल जाती और याद भी रहता तो डर के मरे चुप हो जाती कोई भी सवाल के जवाब नहीं दे पाती..... हर बार उसकी टीचर उसको डाटा करती .. इस बात से परेशान रहती वो हर दिन......एक बार की बात है ये टीचर ने सरप्राईज  टेस्ट ले लिया सारे बच्चो की बुरी हालत हो गई लकिन जो पढने में तेज थे उन्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं हुआ लेकिन जो पढने में थोड़े कमजोर थे वो तो डर गए ये लड़की और इसके  साथ साथ इसके दोस्त सबकी हालत ख़राब की अब क्या होगा टेस्ट हो गया सब एक साथ ही आगे पीछे करके बैठत्ते थे तो एक दुसरे से पुछ पुछ कर जितना आता था सबने लिख डाला लेकिन  इन्हें तो पता नहीं था की एक जैसा लिखने से टीचर को पता चल जायेगा....टेस्ट तो हो  गया ख़त्म और सब ये सोच कर खुश थे की बिना रिविजन  किये टेस्ट अच्छा गया......
तीन दिन बाद......रिजल्ट आ गया इन् चारो दोस्तों को टीचर ने एक साथ बुलाया अपने पास और कहा तुम सबने सारे जवाब एक जैसे दिए है एक जगह पर ही सबने गलती की है इसका मतलब है सबने एक दुसरे की नक़ल क्र टेस्ट दिया है? सब चुप थे किसी ने कुछ नहीं कहा टीचर ने पुनिश्मेंट दिया उन् लोगो को और सबकी सीट चेंज कर दी सब को अलग अलग बैठा दिया और सभी को कहा अपने कॉपी में परेंट्स का सिग्नेचर करवा कर दुसरे दिन लाने को ये सारे बच्चे बहुत उदास हो गए.... टीफिन के समय ईकठे सबने सोचा की अब क्या करे सभी को घर में टेस्ट कॉपी दिखने पर बहुत डाट पड़ेगी लकिन दिखाना तो था ही सभी को....पूरा दिन बीत गया सब चुटी में अपने अपने घर चले गए.... ये लड़की घर पहुची सोचा इसने की जाते के साथ घर पर अपनी माँ को सब कुछ साफ़ साफ़ बता देंगे.... लकिन घर पहुची तो इसके पापा भी घर पर ही थे इसने सोचा की जा क्र टेस्ट कॉपी दिखा दूँ जैसे ही अपने बैग से कॉपी निकल के दिखलाने जाती है तो अपने माता पीता की बात सुनती है दोनों इसी के पढाई को लेकर बहुत परेशान थे उसने ये बात सुनी तो उसे हिम्मत नहीं हुई कॉपी दिखलाने की... फिर उसने खाना खाया  और स्कूल का सारा होमवर्क किया और सारा दिन यही सोचती रही की अब क्या करे शाम हो गया रात हो गई लकिन वो अब तक नहीं दिखा पाई भगवान से उसने प्राथना की कि कुछ ऐसा करे की सब ठीक हो जाए और फिर यही सोचते सोचते सो गई....... सुबह हुई उसने सोचा कि अब तो कोई रास्ता नहीं बताना तो होगा ही... वह गई अपनी माँ को बताने ये बात तो उसकी माँ ने कहा की देखो इस स्कूल में अच्छे से पढना तम्हारे पापा तुम्हारे पढाई को लेकर बहुत परेशान है उसने साडी बात सुन्न ली लकिन जो बताने आई थी नहीं बता पाई उसने कहा माँ मेरे पेट में बहुत दर्द है तो उसकी माँ परेशान हो गई और कहा ठीक
है आज स्कूल मत जाओ तुम्हारा तबियत ठीक नहीं है तो........
 
आज का दिन तो उसने टाल  दिया ये बहाना बना कर लकिन अगले दिन क्या होगा कैसे बताएगी ये लड़की अपने घर पर सबको ये बात सब पहले ही नाराज है परेशान है इसके घर वाले इसके पढाई को लेकर अब ये घर पर तो रह गई स्कूल न जाकर इसने क्या गलती कर दी ये बात इसके मन को परेशान करने लगा एक तो ये बताना इस टेस्ट के बारे में और ऊपर से झूट बोलकर स्कूल न जाना अकेले बैठ क्र इस बारे में सोच ही रही थी की क्या करे इसके पिता आए और इससे कहा देखो ये एक बहुत अच्छा स्कूल है यहाँ मनन लगा क्र पढो तो तम्हे भी सब बच्चो की तरह बहुत अच्छे मार्क्स आयेंगे और जहाँ समझ में नहीं आता कुछ तो बताओ हम समझाते है तम्हे या बोलो तो एक टीचर रख दूँ वो घर पर आ कर पढाएगा बताओ उसने कुछ भी नहीं कहा और उसके पिता ने कहा देखो सिर्फ पढाई में मन लगाओ ये पेंटिंग ये सब करने की जरुरत नहीं पढाई ठीक हो जायेगा  
तो ये सब का कोई मतलब नहीं है समझी ...इसने कुछ नहीं कहा ये बहुत दुखी हुई ये जान कर की पेंटिंग करने को इसके पिता ने मन किया है अब ये और भी उदास हो गई इसके पिता ऑफिस को चले गए और माँ घर के कामो में लगी थी अकेले ये लड़की खूब रोई बैठ कर और रोते रोते सो गई........
"अगला दिन ...सुबह सुबह इसने स्कूल जाने वक़्त अपना टेस्ट कॉपी दिखाया अपने पिता को और कहा पापा इस टीचर ने कहा है आपको सिग्नेचर करने टीचर ने कहा है पिता ने इतने कम मार्क्स देखकर इससे खूब डाटा और कहा तुम चोरी भी करने लगी यही सिखाया है हमने तुम्हे अभी तुम्हारे टीचर से चल कर स्कूल बात करते है कैसे कैसे दोस्त बना लिया है तुमने और फिर उसके पिता ने एक थ्प्पढ़ मारा उसे " 
अचानक उसकी आख खुल गई और देखा की अभी तो दिन है और वो सपना देख रही थी ....
 
अब ये लड़की कैसे बताती है घर में अपने इस टेस्ट के बारे में वो जानने के लिए आगे की पोस्ट का इंतजार करे ...अगला पोस्ट जल्दी ही होगा इस बार की तरह नहीं कुछ कारणों की वजह से काफी समय बाद मैंने ये पोस्ट किया ...

Saturday, May 5, 2012

सपनो की दुनिया : बचपन


' बचपन ' यह एक ऐसा वक़्त होता जिसमे इन्सान किसी परेशानियों से नहीं  घिरा होता.....  इस भाग दौर की जिंदगी में हर इन्सान एक ऐसे दौर से गुजरता है जब उसकी सोच एक खुले आसमान की तरह होती है जिसकी   तो कोई सीमा होती कोई लक्ष्य बस सपने संजोता है ........
      आएये आज एक कहानी बताती हूँ ये कहानी एक छोटी सी दस साल की लड़की की है. एक छोटी सी लड़की जो अपने सपनो की दुनिया में खोयी होती हर बात पर एक नए सपने देखती ....  जब कोई अच्छी पेंटिंग देखती तो उसे लगता काश में एक चित्रकार बन जाऊं तो सारी दुनिया को अपने रंगों से भर दूँ.. फिर कभी जब वो क्रिकेट खेलती तो लगता की मुझे बड़ी होकर  क्रिक्केटर बनना है .. फिर जब वो टीवी पर एक्ट्रेस को डांस करते  देखती तो  लगता की मुझे डांसर बनना है ... जब किसी खिलौने के दुकान पर जाती तो बहुत सरे खिलौने पसंद आते लकिन उसके माता पिता उसके पसंद के हर खिलौने उसे नहीं दिला पाते वो सोचती की जब मै बड़ी हो जाउंगी तो खुद का एक कमरा रखुगी जिसमे सिर्फ मेरे पसंद के खिलौने होंगे .. उससे चोकोलेट बहुत पसंद थे जब उसके माता पिता नहीं दिया करते हर दिन खाने को तो सोचती काश मेरी अपनी कोई दुकान होती तो मै दिन भर टॉफी खाया करती फिर सोचती की जब मै बड़ी हो जाउंगी तो एक पूरा भरा कमरे मै टॉफी भर कर  रखूंगी ......वो लड़की हर पर एक नए सपने को संजोती थी .....  आखें बड़ी बड़ी नाक तीखी सी छोटे से ओठो पर हर वक़्त मुस्कराहट  होती जाने किन किन नए नए ख्यालो में खोयी रहती.. 
भाग- 1  :   
         एक दिन की बात है उसके पिता का ट्रान्सफर हो गया दुसरे शहर  में नयी जगह नए लोग नयी स्कूल,  वो एक रिक्शा से  स्कूल जाया करती उस पर उसके कुछ दोस्त साथ आते जाते वो उस लड़की को बड़ा परेशान किया करते वो लड़की जब घर से पैसे ले जाती कैंटीन में कुछ खाने को तो उसके वो दोस्त उससे लेकर खुद खा जाया करते बेचारी लड़की बहुत परेशान रहती अब तक उसके कोई अच्छे दोस्त नहीं बन पाए थे वो ये बात तो किसी से कह पाती  तो कुछ कर पाती ..  हर वक़्त हसने वाली लड़की चुप चुप शांत सी हो गयी थी.. एक दिन उसने सोचा क्यों मै इस रिक्शा से जाऊ खुद अकेले जाऊ लकिन फिर उसने सोचा अकेले जाने के लिए उसके माता पिता तयार नहीं होंगे तो फिर उसे बड़ा सोचा इसका कोई तो उपाय  होगा फिर से वो अपने खयालो और सपनो की दुनिया मै खो गयी की काश मेरी कोई एक अच्छी सी दोस्त  होती जिसके साथ मै खेलती पढ़ती और स्कूल भी जाती तो ये सारे दोस्त से वो छुटकारा पा लेती ऐसी दोस्त जो उसके साथ घर से स्कूल और स्कूल से घर आती जाती काश ऐसा होता..   एक दिन वो अपने क्लास मै बैठी थी पहली सीट पर अकेले बैठी थी  तब ही एक मंजीता नाम की लड़की कर उसके बगल में  बैठी वो नयी लड़की थी स्कूल में धीरे धीरे इन् दोनों बात करना शुरू किया और कुछ दिनों में ये दोनों बहुत अच्छी दोस्त बन गयी और इस छोटी सी लड़की की सरे सपने सच हो गए वो इसकी नयी दोस्त इसके साथ स्कूल से घर और घर से स्कूल जाती साथ पढ़ती साथ खेलती और उसके वो सरे दोस्त जो इससे बहुत परेशान करते थे वो देखते रहते की अब तो ये उन् लोगो पास भी नहीं जाती और ना उनलोगों से बात करती.... ये लड़की इसी तरह हर दिन हर पल एक नए ख्वाब देखती और ऐसे ख्वाब जिसके कोई सीमा नहीं होती..... यह लड़की अब ये समझने लगती है की जो भी सपने हम देखते है जो कल्पनाये करते है वो सभी हमेशा सच जाते  है बस अपने सपनो के लिए हमें कुछ काम करना होता है और धीरे धीरे वो अपने सपनो के लिए अपने तरीके से कोशिश शुरू कर देती है...

भाग- 2 :
               दिन बीतते गए वो लड़की बड़ी होती गयी और इस दुनिया की परेशानियों में घिरते गयी क्लास बढ़ रहे थे पढाई मुश्किल होती जा रही थी इस लड़की की सबसे बड़ी परेशानी इससे कभी कुछ याद नहीं हो पाता.. उसके पिता ने उससे एक नयी और अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया स्कूल के पहले दिन की बात है इंग्लिश की क्लास थी उसे कर्सिव राईटिंग  में a to z  लिखने कहा गया ये बेचारी लड़की इससे पता नहीं था की कर्सिव  राईटिंग क्या होता इसके पास एक लड़का और एक लड़की बैठे थे उन् दोनों बच्चो को भी नहीं पता था की ये कैसे लिखते है तो इन् तीनो ने सोचा कर्सिव राईटिंग का मतलब होता होगा एक कैपिटल A और दूसरा स्माल b तो इन् तीनो बच्चो ने उस a to z को कुछ इस प्रकार लिखा A a, B b, C c, D d, E e .............................to Z z. अपनी कॉपी में लिख कर ये तीनो बहुत खुश हुए और सबसे पहले ये छोटी सी लड़की अपनी टीचर को दिखने गयी टीचर ने देखा बिना कुछ कहे उस लड़की को एक थप्पड़ लगा दिया वो लड़की रोने लगी उसे ये भी पता नहीं चला की टीचर ने उसे मारा क्यों और टीचर ने उसकी कॉपी बिना चेक किये लौटा दी और कहा फिर से लिख कर दिखाओ बेचारी लड़की उससे ये तक समझ में नहीं आया की उसे मार  क्यों पड़ी उसके माता पिता ने भी आज तक उसे कभी नहीं मारा था. वो रोते रोते अपनी सीट पर बैठी और अपने नए दोस्तों के साथ मिल कर ये पता करना चाहा की कर्सिव राईटिंग होता क्या है.... उस दिन उन् तीनो बच्चो को नहीं पता चल पाया की कर्सिव राईटिंग होता क्या है तीनो ने अपने नए स्कूल के पहले दिन पहले ही क्लास में से यह एहसास हुआ की उन्हें तो कुछ भी नहीं आता है... .. तीनो बच्चे वो पूरा दिन इसी तलाश में रह गए की आखिर ये कर्सिव राईटिंग होती क्या है .......


-------------"  बच्चो को समझाने की जरुरत होती है"   इस तरह से इस छोटी सी बच्ची की आत्म विश्वाश कैसे ख़त्म ख़त्म होती है वो आगे की कहानी का इंतजार करे , आगे क्या होता है ये अगले पोस्ट तक इंतजार करे एक ऐसी छोटी सी लड़की जो सिर्फ ये जानती है की सपने हमेशा सच हो जाते है उसे कैसे समझ में आता है की नहीं सपने सिर्फ सपने होते है जो कभी सच नहीं हो सकते और कैसे उसकी हर कला इस दुनिया की भीड़ में खो जाती है और उसके हर हर कल्पनाओ को कैसे उसके अपने ही ख़त्म कर देते है ...