Thursday, August 23, 2012

"मन की चाहत"

भाग 4 :
 
 
दुसरे दिन सुबह के 4 :30 बजे के करीब वो लड़की सो रही थी अचानक उससे उसके  पिता की आवाज़ जोर जोर से सुनाई देने लगी मानो वो किसी को डाट रहे हो इसकी आख खुली तो इसने अपने टेस्ट पेपर खोजा जो ये हाथ में लिए सो गयी थी उससे नहीं मिला ... ये समझ गयी इसके पिता ने वो टेस्ट पेपर देख चुके और इसी बात पर गुस्सा हो रहे है... वो जल्दी से जागी और अपने पिता के पास गयी उसके पिता के हाथ में वो टेस्ट पेपर था... वो बोले तुमने ये मुझे पहले क्यों नहीं दिखाया ? वो काफी देर चुप रही  कुछ नहीं बोली फिर धीरे से  कहा इस पर आपके दश्तखत चाहिए.....टीचर ने सरप्राईज टेस्ट लिया था कुछ भी रेविसिओं नहीं किया था मैंने तो हम सब दोस्तों ने एक साथ एक दुसरे की मद्दत करके लिखा लकिन टीचर को सब पता चल गया और उन्होंने कॉपी पर ये रिमार्क्स लिख कर भेजा और कहा आपसे इस पर दश्तखत  करवा कर लाने को...... वो आगे कुछ बोलने वाली थी की उसके पिता ने कहा और इसलिए ही तुम कल स्कूल नहीं गयी ... उसने अपना सर हिला कर जवाब दिया हाँ का...... उसके पिता ने कहा जिस दिन मिला था उस दिन तुमने ये मुझे क्यों नहीं दिखलाया बोलो जवाब दो वो लड़की चुप रही कुछ नहीं बोली उसके पिता ने फिर कहा की तुमने पहले क्यों नहीं दिखया ये मुझे वो कुछ नहीं बोली चुप रही उसके पिता लगातार कई बार पूछे लकिन उसने जवाब नहीं दिया वो कुछ नहीं बोली उसके पिता का गुस्सा तेजी से बढ़ते जा रहा था उन्होंने साईन किया और कॉपी को जोर से फेक दिया जो दुसरे कमरे के दरवाजे पर जाकर जीर गया वो लड़की खूब रोई लकिन कुछ नहीं बोली और धीरे से अपने कॉपी को उठा कर दुसरे र्रोम में चली गयी..... और बीस्तर पर लेट कर खूब रोया उसने..... सुबह करीब 5 :15 वो लगातार रो रही उसकी मम्मी आई और कहा रोना बंद करो तुम अगर पहले खुद दिखा देती पेपर तो पापा तुम्हारे इनता गुस्सा नहीं करते और अब उठो स्कूल जाना है या आज भी नहीं जाना!
वो कुछ नहीं बोली चुप चाप उठी खुद तयार हुई और स्कूल के लिए चली गयी ..... पूरा दिन स्कूल में वो शांत रही किसी से कुछ बोलना नहीं बात नहीं बस जो पढाई हुई चुप चाप करती रही सब उससे बहुत बात करने की कोशिश किये लेकिन वि कुछ नहीं बोली अकेले शांत बैठी रही....सबने बहुत कोशिश की उसे मानाने की उसे हँसाने की लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ वो अकेले गुम सी हो गयी थी.....
सुबह से उसके दिमाग में एक अजीब और गरीब से ख्याल आ रहे थे उसे उस दिन से ये लगने लगा की उसकी बातो को कोई नहीं समझ पायेगा
वो अब किसी से कुछ भी नहीं कहती हमेशा चुप सी हो गई न ज्यादा बोलती न कुछ बात करती.....उसने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो जाये वो सिर्फ पढाई पर ही ध्यान देगी अब... उसे पेंटिंग करना बहुत अच्छा लगता था लकिन ये इस बात को अपने दिल में रखती न किसी से कहती न बोलती... दिन बीतते गए धीरे धीरे ये लड़की बड़ी होते गयी..थोड़ी थोड़ी पढाई में उसके सुधर आते गया चौथी कछा के ईम्तिहान में अपने क्लास में चौथे नंबर पर आई सबने ने उसको बहुत बधाई दी उससे बहुत अच्छा लगा लेकिन सबसे अच्छा तब लगा जब उसके पिता ने उसकी तारीफ़ की सब कुछ ठीक हो रहा था लकिन उससे एक बात बहुत परेशां कर रही थी... उससे सपने देखने की बहुत आदत थी वो हमेशा अपने सपनो की दुनिया में खोयी रहा करती थी.... पांचवी क्लास में पढाई बढ़ते जा रही थी....वो सोचती ज्यादा थी उससे दर था की उसकी थोड़ी सी लापरवाही के कारन उसके नंबर कहीं फिर से कम न आ जाये लेकिन सब कुछ ठीक था उसकी एक दोस्त अभिलाषा इस बार उसका सेक्सन बदल गया था अब ये दोनों दोस्त एक दुसरे से कम मिलने लगे और दुरियाँ बढ़ते चली गयी ये और भी अकेले रहने लगी इसके साथ इसका दोस्त अजय साथ बैठता था और हमेशा इससे हंसाने की कोसिस करता वो इसे बहुत अच्छे से समझता था ये लड़की जब इससे बात करती तो खुद को हल्का महसूस करती..ये दोनों धीरे धीरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे ज्यादा तर टाइम एक दुसरे के साथ गुज़ारते गए अब तो उनके क्लास में में सारे दोस्त उन् दोनों से मजाक करते की वो दोनों एक दुसरे को पसंद करते लेकिन सब जानते थे की वो दोनों सिर्फ एक अच्छे दोस्त है बस. 
एक दिन की बात है वो लड़की अकेले बैठी थी सोच रही थी की कैसे अपने सपनो को अपने पिता के सपने के साथ लेकर पूरा करे और वहीँ पर बैठे बैठे  सोचने लगी काश उसके पिता को पेंटिंग और डांस भी अच्छा लगता जिससे वो साथ साथ कर सकती काश उसका दिमाग भी हर बच्चो की तरह तेज होता जैसे सब पढाई के साथ सब कुछ कर सकते है वो भी कर सकती होती....लकिन उसकी सबसे बड़ी परेशानी की वो घंटो याद करती पर उससे कुछ याद नहीं होता एक चेज याद करते करते सुबह से शाम हो जाता उसकी ये परेशानी दिन पर दिन बढ़ते जा रही थी वो बहुत कोशिश करती हर वक़्त पढ़ते रहती लकिन उससे याद नहीं हो पता था उसकी ये परेशानी कोई नहीं समझ रहा था.... जब वो चौथी क्लास में थी तो पहली बार उसने कंप्यूटर को देखा छुआ था उस पहले दिन के क्लास में उसे अपने सपने को एक नयी मोर में डाल दिया. उस दिन वो बहुत खुश थी और ये एक ऐसा सुब्जेक्ट हो गया उसके लिए जिस पर वो सबसे ज्यादा ध्यान देती .. लेकिन उसके याद न होने की बीमारी यहाँ पर भी परेशान करती... अब वो सोचती की इससे कैसे दूर करे ये बात उसके घर में उसके पिता को पता था की इससे याद नहीं होता लेकिन वो हमेशा उसे ये कह कर डाटते की वो पढना नहीं चाहती पढाई पर उसका धयान नहीं रहता लेकिन हर दिन वो लड़की अपने तरफ से पूरी  कोशिश करती की उसे याद रहे लेकिन नहीं हो पा रहा था . पांचवी  क्लास की आखरी इम्तिहान  था ये लड़की अपनी तरफ से पूरी तरह से तयारी की पूरी कोशिश की तो इसके नंबर तो ठीक ही आये लेकिन बहुत अच्छे नहीं थे . अब उसे और बड़ी क्लास में जाना था और ज्यादा पढाई उसे और म्हणत करनी थी उसके पिता ने सोचा की उसे इससे भी अच्छे स्कूल में डाल दु उस शहर का सबसे अच्छे स्कूल में ये टेस्ट देने गयी टेस्ट में तो हो गया लेकिन इंटरव्यू बाकी था ये लड़की बहुत घबरायी हुई थी . एक तरफ इससे लग रहा था की इसके सरे दोस्त छुट जायेंगे और फिर उनसे ये कभी नहीं मिल पायेगी और दूसरी तरफ इसके पिता की उम्मीद की इसका इस सबसे अच्छे स्कूल में  एडमिशन  होना इससे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ये......उस रात खाना खा कर वो अकेले अपने रूम जाकर बैठी थी उसे नींद नहीं आ रही थी उसे बड़ा डर लग रहा था उससे दुसरे स्कूल में जाने का बिलकुल मन नहीं था यहाँ उसके बहुत अच्छे अच्छे दोस्त बन गए थे. लेकिन वो अपने पिता को इस कारन मना भी नहीं कर सकती थी. ......
 
अगले पोस्ट में देखिये ये लड़की जाती है या नहीं और जाती है तो उसका इस नए स्कूल में दाखिला होता है या नहीं....
 

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