Sunday, September 30, 2012

पल पल की ख़ुशी :

भाग 5 :  उस दिन मौसम बहुत  प्यारा था उस हवा में एक जादू सा था  ..जो सीधे दिल तक पहुच रही थी | उस मौसम में अकेले ऊपर छत पर बैठी वो छोटी सी लड़की ऊपर खुले आसमां को एक नजर से देखी जा  रही थी .. अचानक उसे उस आसमा में एक छिपा चेहरा नजर आया वो देखते रही बहुत कोशिश  की उस चेहरे को देखने की उसे पहचानने की .... लेकिन  उसे नहीं पता चल पाया उस चेहरे में कौन छिपा था .... उसे समझ में नहीं आया की आखिर वो किसका चेहरा था किसकी  तस्वीर थी जो उसे समझ में नहीं आ पाया  .....अकेले बैठे - बैठे वो अपने  ख्यालो में खोयी  थी सोच रही थी की ऐसा क्या करे जो उसके माता पिता का नाम उचा हो वो लोग उस्सपर गर्व महसूस करे ...आखिर ऐसा कौन सा काम करे अपनी पहचान इस दुनियां में कैसे बनाये ......फिर अचानक  उसे ध्यान आता की कल उसे नए स्कूल के  इंटरव्यू के लिए जाना है | रात बहुत हो चुकी थी इसे नींद बिलकुल नहीं आ रही थी....फिर इसे लगा की अगर नहीं सोया इसने तो कल सुबह कहीं लेट न हो जाये और  इसे अपने माता पिता के नाम को उचे आसमां में पहुचना था ताकी गर्व से इसके माता पिता इसे अपनी बेटी कह सके कुछ अलग करना एक अलग करने की चाहत से हर दिन रात को अपनी आखें बंद करती हर दिन एक  उम्मीद में जीती की कोई तो सुबह ऐसी आएगी उसे नहीं पता की उसे क्या करना ठीक होगा और सबसे बड़ी बात वो ये बात किसी को बतला भी नहीं सकती ....ये लड़की अपने रूम में आई और यही साडी बातें सोचते सोचते सो गयी ....सुबह....सुबह... उसकी माँ आती है उसे उठाती है उठो बेटा सुबह हो गयी है तुम्हे आज स्कूल में    इंटरव्यू  के लिए जाना है |  इस बात पर उसकी आख खुली और तब ये ख्याल आया की दोस्त तो वो नए स्कूल में भी बना सकती है और उसके घर में भी सभी को मन है की वो इस स्कूल में पढ़े ये भी सोच ली की आज अपने तरफ से पूरी कोशिश करेंगे .... टायर हुई और अपने पिता के साथ स्कूल को चली गई.... आखरी दूसरा नंबर इसका था इसकी बरी आई  इंटरव्यू की तो इसके साथ इसके पिता भी अन्दर गए क्योकि साथ परेंट्स को भी  जाना था कुछ सवाल इससे किये गए कुछ इसके पिता से इसने सारे सवाल के सही जवाब दिए बस दो सवालो के जवाब नहीं आते थे एक तो इससे पूछा गया who is the chairman of planning commission? जिसका जवाब इसे नहीं पता था  इसने कहा नहीं मालूम तो टीचर ने इसे बताया की PM  होता है...और दूसरा सवाल एक इंलिश वर्ड का अर्थ था जो इसे नहीं पता था इसने कभी सुना भी नहीं था ये लड़की बहुत घबरायी हुई थी सरे सवाल का जवाब डर डर कर दे रही थी... टीचर ने इसके पिता से भी कुछ सवाल किये और फिर वो अपने पिता के साथ घर आ गयी.. इसने कभी नहीं सोचा था की कुछ ऐसा भी कभी होगा और अब पांच दिन के बाद इसका रिजल्ट आने वाला था अगर यहाँ इस स्कूल में इसको दाखिला मिल जाता तो इसके पिता बहुत खुश होते ... धीरे धीरे दिन बीत रहा था इसे अपने रिजल्ट का बेहद जल्द इंतजार था...दुसरे  दिन वो लड़की घर पर दिन में अपनी गुढ़िया के साथ खेल रही थी की अचानक  जोर की आवाज़ सुनाई दी उसे वो उस आवाज़ के तरफ भागते हुए गई बहार जाकर देखि तो एक छोटे से बच्चे को उसकी माँ बहुत जोर जोर से मार रही थी तभी इस लड़की की माँ भी बाहर पहुंची और तभी उन्होंने उस औरत से कहा जो अपने बच्चे को बुरी तरह मार रही थी की क्यों मार रहीं है? आप अपने बेटे को, वो बोली " देखिये इसे हर वक़्त कुछ न कुछ चाहिए होता है खाने को हर घंटे इससे खाना चाहिए बतईये की मैं इसे हर वक़्त सिर्फ खाना ही देते रहूँ की और भी कई काम होते है मुझे लकिन ये हमेशा जिद पर ही रहता है भला कोई हर घंटे खाना खता है मैं तो तंग आ गई हूँ इस लड़के से "  हाय राम मैं क्या करूं इस लड़के का! वो औरत अपना सर पकड़े निचे जमीन पर बैठ गई.... ये लोग इस लड़की के पड़ोसी थे जहाँ ये सब किराये के माकन में रहते थे .... ये सब देख कर वो लड़की के आख में पानी आ गई उसे उस लड़के को देख कर वो सोचने लगी क्या कोई ऐसी भी माँ होती है जो अपने बच्चे को इस कारन इतना मरती है क्योकि वो ज्यादा खाता है...उसे तो बहुत अजीब लगा यहाँ उसके घर में  उसकी माँ हमेशा ये कोशिश में रहती दिन भर की वो हमेशा कुछ खाते रहे और वहां पर उल्टा है वो लड़का खाना चाहता लेकिन  उसकी माँ नहीं देना चाहती इस घटना तो देख कर इस लड़की को एक गहरी भावना पर इसे सोचने के लिए मजबूर कर दिया ...उस दिन इसे ये एहसास हुआ की ऊपर वाले ने उसे सबसे प्यारी चेज तोफे में दिया है उसके माता पिता को जो शायद दुनिया के सबसे अच्छे  माता पिता होंगे उस दिन उसने यह तय किया अब अगर उसे कुछ भी करना है तो सिर्फ अपने माता पिता के लिए बस अब और कुछ नहीं.... अगले दिन रिजल्ट आने वाला था उस लड़की से खाना तक नहीं खाया जा रहा था वो बहुत घबराई हुई थी...उसके पिता उसका रिजल्ट देखने गए और फिर घर पर फ़ोन कर्क बताया की उसका इस पहले लिस्ट में नहीं हुआ ये बहुत दुखी हो गयी उस दिन इसने पूरा दिन कुछ भी खाना नहीं खाया इसी माँ ने इसे समझाया की अगर नहीं होता है तो कोई बात नहीं तुम अब भी एक अच्छे स्कूल में ही पढ़ रही हो और दूसरा लिस्ट भी तो रिजल्ट का बचा हुआ है ...दो दिन के बाद दूसरा लिस्ट आने वाला था .....इस लड़की से ये दो और दिन इंतजार नहीं हो रहा था क्योकि ये जानती थी इसके इस रिजल्ट में इसकी ख़ुशी से ज्यादा इसके पिता ख़ुशी छिपी थी जो शायद उसके पिता के बिना पढ़े उनकी आखों में इसने पढ़ लिया था ये दो दिन इससे नहीं कट रहे थे की क्या होगा अब.......

आगे की कहानी अगले पोस्ट में....

2 comments:

  1. आज 27/11/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. Deepti jee aap kamaal ki soch ke saath likhti hain. Aisa lagta hai ki main kahani nahi padh raha balki haquikat mere samne hai.
    YOUR'S
    GAUTAM GUPTA
    gautam.gupta71@gmail.com

    ReplyDelete